मुख से ली जाने वाली यह दवा कई रोगों के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। अब कोविड-19 महामारी के इलाज के लिए कोई समुचित दवा उपलब्ध न होने की वजह से आइवरमेक्टिन का इस्तेमाल कोविड मरीजों पर भी हो रहा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। एंटी-पैरासिटिक ड्रग आइवरमेक्टिन के कोविड मरीजों को दिए जाने को लेकर पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं जिनसे यह पता चले कि यह दवा वास्तव में लाभ पहुंचा रही है। इस समय यह दवा हल्के या उससे कुछ ज्यादा लक्षणों वाले मरीजों को दी जा रही है। ऐसा विशेषज्ञों की राय से हो रहा है जिन्होंने इसके तीन चरणों में इस्तेमाल की सलाह दी है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसके इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी है।
मुख से ली जाने वाली यह दवा कई रोगों के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। अब कोविड-19 महामारी के इलाज के लिए कोई समुचित दवा उपलब्ध न होने की वजह से आइवरमेक्टिन का इस्तेमाल कोविड मरीजों पर भी हो रहा है। लेकिन बहुत से डॉक्टर और वैज्ञानिक इसे लेकर आशंकित हैं। इस दवा के फायदे-नुकसान पर चल रही बहस के बीच इसी सप्ताह कर्नाटक, उत्तराखंड और गोवा में इसके इस्तेमाल के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेश इसके इस्तेमाल की पहले ही सलाह दे चुके हैं। इस दवा का इस्तेमाल बचाव और इलाज, दोनों के लिए हो रहा है
डब्ल्यूएचओ ने इस दवा के इस्तेमाल को लेकर किया आगाह
जबकि डब्ल्यूएचओ ने इस दवा के इस्तेमाल को लेकर आगाह किया है। कहा है कि दवा के इस्तेमाल से फायदे को लेकर पर्याप्त आंकड़े न होने की वजह से इस दवा से नुकसान भी हो सकता है। डब्ल्यूएचओ की मुख्य विज्ञानी सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार किसी भी दवा के इस्तेमाल से पहले हमें उससे होने वाली सुरक्षा और उसके दुष्प्रभावों के बारे में पता होना चाहिए। इसलिए वह कोविड मरीजों के लिए आइवरमेक्टिन दवा के इस्तेमाल के खिलाफ है। किसी भी दवा के मरीजों पर इस्तेमाल से पहले उसका क्लीनिकल ट्रायल होना चाहिए
जबकि लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब में एप्लाइड मेडिकल साइंसेज की सीनियर डीन मोनिका गुलाटी के अनुसार सूजन के खिलाफ असर और टेस्ट ट्यूब में कोरोना वायरस पर इसका प्रभाव देखने के बाद आइवरमेक्टिन का इस्तेमाल गलत नहीं है। पूरी दुनिया में दवा के ये असर महसूस किए गए हैं। हालांकि इस समय आइवरमेक्टिन के इस्तेमाल के लिए मानदंडों के मुताबिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं और उस लिहाज के परीक्षण भी नहीं हुए हैं। लेकिन इस सबके लिए बहुत ज्यादा समय चाहिए होता है।