इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि हनुमानगढ़ी के संत और श्रद्धालु ही नहीं प्रसाद बेचने वाले व्यापारी भी हनुमान जी को अच्छे से अच्छा लड्डू अर्पित करना चाहते हैं। हालांकि हकीकत इस चाहत के विपरीत है और हनुमान जी के हिस्से प्राय साधारण लड्डू ही आते हैं।
अयोध्या, बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी में विराजे हनुमान जी को स्वादिष्ट लड्डू का भोग लगाने की साध पूरी नहीं हो पा रही है। गत बुधवार को बासी लड्डू सड़क पर फेंके जाने के साथ यही बेचैनी परिभाषित हुई। इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि हनुमानगढ़ी के संत और श्रद्धालु ही नहीं, प्रसाद बेचने वाले व्यापारी भी हनुमान जी को अच्छे से अच्छा लड्डू अर्पित करना चाहते हैं। हालांकि हकीकत इस चाहत के विपरीत है और हनुमान जी के हिस्से प्राय: साधारण लड्डू ही आते हैं। इसके पीछे हनुमानगढ़ी के सम्मुख सौ से अधिक लड्डू की दुकानों की आपसी प्रतिस्पद्र्धा है।
अव्वल तो यह कि यहां आने वाले दर्शनार्थियों में से अधिकांश आस-पास की ग्रामीण और साधारण आर्थिक पृष्ठभूमि वाले हैं और ऐसे दर्शनार्थियों की जेब प्राय: सस्ता लड्डू खोजती है। इस वर्ग के दर्शनार्थियों को ही ध्यान में रखकर डालडा अथवा औसत किस्म के रिफाइंड से सर्वाधिक लड्डू बनाए जाते हैं। इसकी दर आम तौर पर सौ रुपए प्रति किलो होती है, किंतु ग्राहक बचाए रखने की प्रतिस्पद्र्धा में यदि यदा-कदा इस श्रेणी का लड्डू 80 से 90 रुपए किलो तक बेचने की बाध्यता होती है और इसी के साथ इस साधारण किस्म के भी लड्डू की गुणवत्ता से समझौता करना पड़ता है। लागत न आ पाने की सूरत में व्यापारियों को बेसन की जगह मक्का के आटे का प्रयोग करना पड़ता है। हनुमान जी को चढऩे वाले देशी घी के लड्डू की कीमत तीन सौ से चार सौ रुपए प्रति किलो तक होती है। महंगा होने के कारण यह लड्डू कम बिकता है। हालांकि अपनी जेब की बजाय हनुमान जी की पसंद को वरीयता देने वाले श्रद्धालुओं की ऐसी पांत भी दिखती है, जो अनिवार्य रूप से देशी घी का ही लड्डू चढ़ाती है। ये लड्डू रामनगरी के प्रतिनिधि लड्डू के रूप में भी जाने जाते हैं।
ब्रांड के तौर पर होना चाहिए विकसित : गौरीशंकर
हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत गौरीशंकरदास के अनुसार आज जब अयोध्या वैश्विक पटल पर स्थापित होने को तैयार हो रही है, तब हनुमानगढ़ी का लड्डू भी ब्रांड के तौर पर विकसित किए जाने की जरूरत है और इसके लिए गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा। वह इस क्रम में व्यापारियों एवं हनुमानगढ़ी प्रबंधन के आपसी समंवय से ठोस कार्ययोजना तैयार करने के भी पक्षधर हैं। इसमें व्यापारियों और श्रद्धालुओं के हित के साथ हनुमान जी के लिए बेहतरीन लड्डू तैयार किए जाने पर जोर होगा।
हनुमान जी के लड्डू में मेवा मिश्रण की तैयारी
लड्डू की प्रतिष्ठित दुकान संचालित करने वाले पार्षद नंदलाल गुप्त कहते हैं, बाजार में जैसा दाम-वैसा काम के सिद्धांत से इंकार नहीं किया जा सकता, पर हनुमान जी के लिए बिकने वाले लड्डू की शुद्धता से कोई समझौता नहीं किया जाता है और इसकी तस्दीक खाद्य एवं रसद विभाग की प्राय: होने वाली जांच से भी होती है। हालांकि वे यह स्वीकार करते हैं कि अब हनुमान जी को चढऩे वाले लड्डू को कहीं अधिक स्वादिष्ट बनाना होगा और इसके लिए वे घी एवं बेसन के लड्डू में मेवे के मिश्रण की तैयारी में हैं।
आस्था के शीर्ष केंद्रों पर प्रसाद भी शीर्ष स्तर का हो
स्वाद और पौष्टिकता की मिसाल माने जाने वाले तिरुपति लड्डू की तर्ज पर रामनगरी में रघुपति लड्डू का चलन चलाने में लगे प्रख्यात समाजसेवी एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल के अनुसार रामजन्मभूमि एवं हनुमानगढ़ी जैसे आस्था के शीर्ष केंद्रों पर चढऩे वाला प्रसाद भी शीर्ष स्तर का होना चाहिए और रघुपति लड्डू इसी भावना से न्याय का प्रयास है।