म्यूचुअल फंड के निवेशक अक्सर करते हैं यह बड़ी भूल, एक्सपर्ट बता रहे हैं सही तरीका,

म्यूचुअल फंड की कीमत को लेकर भ्रम से भरे विचार ने निवेशकों के लिए बड़ी समस्याएं पैदा की हैं। इसका सबसे खराब पहलू एनएवी के आधार पर दो फंड की तुलना करना है और सोचना है कि समान एनएवी वाले फंड एक जैसे ही होंगे।

 

नई दिल्ली,  म्यूचुअल फंड के निवेशक समान एनएवी वाले फंड्स को एक जैसा समझने की बड़ी भूल अक्सर करते हैं। अगर ऐसी गलती स्टॉक्स के निवेशकों से होती है, तो उन्हें लेने के देने पड़ सकते हैं। कम और ज्यादा मूल्य के दो स्टॉक्स अकेले इस बुनियाद पर सस्ते और महंगे नहीं हो सकते हैं, क्योंकि उनके मूल्य में अंतर है।

म्यूचुअल फंड की कीमत को लेकर भ्रम से भरे विचार ने निवेशकों के लिए बड़ी समस्याएं पैदा की हैं। इसका सबसे खराब पहलू एनएवी के आधार पर दो फंड की तुलना करना है और सोचना है कि समान एनएवी वाले फंड एक जैसे ही होंगे। क्या इक्विटी निवेशक इस समस्या से बचे हुए हैं? म्यूचुअल फंड में कीमत जैसा कुछ नहीं होता है, स्टॉक में कीमत होती है। स्टॉक की कीमत निवेश में बहुत अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में इक्विटी निवेशक से उम्मीद की जाती है कि वह कीमत को लेकर कोई गलत धारणा न रखे।

दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाता है। स्टॉक निवेशक स्टॉक कीमतों को लेकर गलत सोच का शिकार हो सकते हैं। बहुत से निवेशक मानते हैं कि कम कीमत वाला स्टॉक सस्ता है इसलिए ऊंची कीमत वाले स्टॉक की तुलना में यह स्टॉक खरीदना बेहतर है। यह सही है कि स्टॉक की कम कीमत इसे खरीदने का और ऊंची कीमत स्टॉक न खरीदने या बेचने का वैध कारण है। सभी इक्विटी निवेश में यह विचार अहम है।

हालांकि कीमतों का चढ़ना या गिरना स्टॉक खरीदने या नहीं खरीदने के बारे में पूरी बात नहीं बताता है। हो सकता है कि 15 रुपये कीमत वाला स्टॉक अपने उस दाम पर भी महंगा हो। और 500 रुपये की कीमत वाला स्टॉक उस समय खरीदने के लिए सस्ता व बेहतर स्टॉक हो सकता है। स्टॉक की महंगाई का महज उसके दाम के आधार पर आकलन नहीं किया जा सकता है।

म्यूचुअल फंड के मामले में मेरा मानना है कि इस गलत सोच को फंड बेचने वालों ने बढ़ावा दिया है। वर्षो से निवेशकों को नए फंड सिर्फ यह कहकर बेचे जाते रहे हैं कि अमुक फंड महज 10 रुपये में उपलब्ध है इसलिए यह सस्ता है। यह एक तरह की धोखाधड़ी है। इसी तरह की बात सस्ते स्टॉक्स के लिए कही जाती है। यह निवेश की एक उप-संस्कृति है जो सस्ते स्टॉक खरीदने पर आधारित है और यह पूरी दुनिया में है।

भारत में इसे रुपी (एक रुपया) स्टॉक्स कहा जाता है और अमेरिका में पेनी (एक डॉलर का सौवां हिस्सा) स्टॉक्स। एक समय था जब अमेरिका में इसे सिगार बट स्टॉक्स कहा जाता था। सोच यह थी कि आपने कहीं से सिगार बट उठाई और मुफ्त में कुछ कश लिए। यहां तक कि इक्विटी रिसर्च टूल्स और वेबसाइट हैं जो रुपी स्टॉक्स को चुनने में मदद करते हैं।

स्टॉक्स में कीमतों का विचार इस तथ्य के द्वारा स्थापित किया गया है कि स्टॉक्स से तुलना के लिए निकाले गए अनुपात एक मानक की तरह हैं। ये मानक स्टॉक्स में खरीद-फरोख्त के बहुत फायदेमंद तकनीक हैं। हालांकि सभी निवेशक जानते हैं कि ऐसी तुलना फंडामेंटल इक्विटी रिसर्च का अहम बिंदु है। लेकिन अनुपात के विचार को कीमतों तक ले जाना एक बुनियादी गलती है। कॉपी-पेस्ट और ट्रिक्स अपनाकर ऐसा निवेश पोर्टफोलियो नहीं बनाया जा सकता है, जो लंबे समय तक मुनाफा दे।

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