CBI ने जालसाज अशोक पाठक को किया गिरफ्तार, वक्फ संपत्ति धोखाधड़ी से बेचने का आरोप

सीबीआइ ने जांच में पाया कि वक्फ संपत्ति को धोखाधड़ी करके बेचने के मामले में अशोक पाठक ने फर्जी हस्ताक्षर किए थे। पुलिस ट्रेनिंग स्कूल की 300 बीघा जमीन के फर्जी कागजात बनाकर अपने नाम करवा लिया। जिसके बाद उसने फर्जी हस्ताक्षर करके इस जमीन को बेच दिया।

 

लखनऊ,  केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच की टीम ने जमीन की धोखाधड़ी के दो अलग-अलग मामलों में नामजद फरार आरोपित अशोक कुमार पाठक को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी 45 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में हुई है। फर्जी हस्ताक्षर से जमीन हड़पने के मामले में अशोक पाठक पर 2016 में एफआइआर दर्ज हुई थी।

जमीन की धोखाधड़ी के मामले में वांछित अभियुक्त अशोक पाठक को सीबीआइ की विशेष अदालत ने 31 मई तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। शनिवार को इसे सीबीआइ ने गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था। अदालत ने इसे भगौड़ा घोषित कर रखा था। 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इसकी याचिका खारिज करते हुए इसे चार हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया था। बावजूद इसके यह हाजिर नहीं हो रहा था। इससे पहले हाई कोर्ट और सत्र अदालत से इसकी अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज हुई थी।

 

सीबीआइ ने जांच में पाया कि वक्फ संपत्ति को धोखाधड़ी करके बेचने के मामले में अशोक पाठक ने फर्जी हस्ताक्षर किए थे। पुलिस ट्रेनिंग स्कूल की 300 बीघा जमीन के फर्जी कागजात बनाकर अपने नाम करवा लिया। जिसके बाद अशोक कुमार पाठक ने फर्जी हस्ताक्षर करके इस जमीन को बेच दिया।

लखनऊ के सरोजनीनगर में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल की 300 बीघा जमीन फर्जी कागजातों के जरिए अशोक पाठक ने अपने नाम करवा बेच दी थी। इस मामले में वर्ष 2018 में वजीरगंज कोतवाली में आरोपित के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी।

सीबीआइ लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने कोर्ट से जालसाजी के आरोप में अशोक पाठक व अन्य के खिलाफ दो केस दर्ज किए थे। एक केस में अशोक पाठक, साथी वकील विनयजीत व अन्य को नामजद किया गया था। जबकि दूसरे केस में अशोक पाठक, विनयजीत लाल वर्मा और कपिल प्रताप राना को नामजद किया गया था। सीबीआइ ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर ये एफआइआर दर्ज की थीं।

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