Covid-19 महामारी के लिए कैसे बनाएं Emergency Fund, तकि इलाज में न आए अड़चन

Covid-19 महामारी की नई लहर में देशभर में अस्‍पतालों में बेड की भारी कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में अधिकतर पीड़ित लोग Home Isolation में रहते हुए अपने Coronavirus Infection का उपचार करवा रहे हैं। ऐसे में इमरजेंसी फंड की बहुत अधिक जरूरत महसूस होती है।

 

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Covid-19 महामारी की नई लहर में देशभर में अस्‍पतालों में बेड की भारी कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में अधिकतर पीड़ित लोग Home Isolation में रहते हुए अपने Coronavirus Infection का उपचार करवा रहे हैं। दूसरी ओर, नर्सिंग स्‍टाफ, Online Doctor Consultation से लेकर Oxygen Cylinder आदि की व्‍यवस्‍था में भी लोगों को काफी रकम खर्च करने की जरूरत पड़ रही है। हालांकि, अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य से बढ़कर कोई सुख नहीं और इसलिए लोग अपनी गाढ़ी जमा-पूंजी कोरोना संक्रमण से उबरने और उसके बाद रिकवरी में बिना कुछ सोचे लगा देते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आप शुरू से ही एक Emergency Fund बनाकर चलें तो ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में आपको इस तरह आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

सवालः किसी भी व्यक्ति को कितनी रकम का इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए? 

मणिकरण सिंघलः इमरजेंसी फंड वस्तुतः पर्सनल फाइनेंस का एक बहुत ही अहम पहलू है। सामान्य तौर पर हमें इसे परिवार के खर्चों के साथ जोड़ते हैं। परिवार के मासिक खर्च की कम-से-कम तीन गुनी रकम हमारे पास इमरजेंसी फंड में होनी चाहिए। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस सेक्टर में काम करते हैं। उस सेक्टर में किस तरह के जोखिम हैं। आपकी खर्च में क्या-क्या चीजें शामिल हैं। अलग-अलग सेक्टर के लोगों और अलग-अलग आयु सीमा वाले लोगों के लिए यह राशि भिन्न हो सकती है लेकिन तीन से छह माह का इमरजेंसी फंड हर किसी के पास होना चाहिए।

सवालः इमरजेंसी फंड खर्च पर आधारित होना चाहिए या आय के आधार पर होना चाहिए?

जितेंद्र सोलंकीः आम तौर पर इमरजेंसी फंड छह महीने के खर्चों पर आधारित होता है। लेकिन हेल्थ इमरजेंसी की बात आती है तो हम हेल्थ इंश्योरेंस पर भरोसा करते हैं। हालांकि, अगर ऐसी परिस्थितियां आती हैं जब हेल्थ इंश्योरेंस पर्याप्त तौर पर कारगर नहीं लगता है तो उसके लिए अलग से हेल्थ फंड बनाने का प्रावधान लोगों को करना चाहिए। इसकी वजह है कि इमरजेंसी अलग-अलग तरह की हो सकती है। जॉब की इमरजेंसी आ गई तो आपको खर्च पर आधारित फंड का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि, अगर हेल्थ इमरजेंसी आ गई और हेल्थ इमरजेंसी कारगर नहीं है तो हेल्थ इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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