Flexi Cap Fund बना सकता है निवेशकों को मालामाल, बस इन बातों का रखना होगा ध्यान,

शेयर बाजार में निवेश पर अच्छा लाभ मिले इसके लिए जरूरी है शेयरों का सही चुनाव। जिन निवेशकों को शेयर बाजार की सीमित जानकारी है उनकी मदद करता है म्युचुअल फंड। सभी म्यूचुअल फंड  एक जैसे नहीं होते।

 

नई दिल्ली, सीमित Lockdown की वजह से कोरोना की दूसरी लहर भी अब नियंत्रण में आ गयी है और निवेशकों का भरोसा भी शेयर बाजार में बरकरार है। शेयर बजार में आने वाले कुछ समय मे उतार-चढ़ाव की संभावना जरूर है किन्तु लंबी अवधि के नजरिए से यह शेयर बाजार में निवेश करने के लिए उपयुक्त समय है। शेयर बाजार में निवेश पर अच्छा लाभ मिले इसके लिए जरूरी है शेयरों का सही चुनाव। जिन निवेशकों को शेयर बाजार की सीमित जानकारी है, उनकी मदद करता है म्युचुअल फंड। सभी म्यूचुअल फंड  एक जैसे नहीं होते। एक इक्विटी फंड के पोर्टफोलियो में रखी गयी कंपनियों के आकार और निवेश की रणनीति के आधार पर उन्हें लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप, फ्लेक्सी कैप, मल्टी कैप और फोकस्ड फंड इत्यादि की श्रेणियों में रखा जाता है।

क्या है इन श्रेणियों में फर्क

लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप फंड अपने नाम के अनुरूप मुख्य रूप से दिग्गज कंपनियों, मझोली कंपनियों और छोटी कंपनियों के शेयरों मे निवेश करते हैं। जबकि फ्लेक्सी कैप, मल्टी कैप और फोकस्ड फंड एक से अधिक तरह की मार्केट कैप वाली कंपनियों के शेयरों मे निवेश कर सकते हैं यानि कि इन तीनों कैटेगरी के फंड का निवेश लार्ज कैप, मिड कैप और स्माल कैप शेयरों में हो सकता है। फर्क बस इतना है कि जहां एक मल्टी कैप फंड का निवेश लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कैप तीनों तरह की कैटेगरी के शेयरों मे कम से 25-25 प्रतिशत अनिवार्य है, वहीं फ्लेक्सी कैप फंड मे यह फंड मैनेजर तय करते हैं कि किस तरह के मार्केट कैप वाले शेयरों में कितना फीसद निवेश करना है।

इसका फायदा यह है कि बाजार की चाल के हिसाब से फंड मैनेजर समय-समय पर पोर्टफोलियो मे बदलाव कर सकते हैं, जिससे लाभ और जोखिम दोनों पर नियंत्रण रहता है। वैसे तो फोकस्ड फंड में भी किसी भी तरह के मार्केट कैप वाले शेयरों मे निवेश करने की छूट है लेकिन सेबी के निर्देशानुसार एक फोकस्ड फंड मे अधिकतम 30 शेयर ही रह सकते हैं जिससे जोखिम थोड़ा बढ़ जाता है। ऐसे निवेशक जो एक डाइवर्सिफाइड फंड मे निवेश करना चाहते हैं उनके लिए फ्लेक्सी कैप एक बेहतर विकल्प है।

फ्लेक्सी कैप श्रेणी का पिछला प्रदर्शन

हालांकि, फ्लेक्सी कैप कैटेगरी काफी नयी है किन्तु इस कैटेगरी मे जो मौजूदा फंड हैं उनका इतिहास काफी पुराना है। वजह यह है अधिकतर म्युचुअल फंड कंपनियों ने अपने पुराने मल्टी कैप फंड का नाम बदल कर फ्लेक्सी कैप रख दिया। यदि हम फ्लेक्सी कैप कटेगरी के पिछले एक साल के औसत प्रदर्शन पर ध्यान दें तो इस कैटेगरी ने पिछले एक साल मे लगभग 55 फीसद का रिटर्न दिया है। वहीं, पिछले 3 और 5 साल मे यह रिटर्न औसतन 15 फीसद का रहा है।

हाल ही मे आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड ने भी फ्लेक्सी कैप फंड का एनएफओ लॉन्च किया है। यह एनएफो 12 जुलाई तक निवेश के लिए खुला रहेगा। यह एक ओपन एंडेड स्कीम है इसलिए एनएफओ बंद होने के बाद फिर से खरीदी- बिकवाली के खुल जाएगा। इस स्कीम की विशेषता यह है कि इसमें कम से कम 50 फीसद निवेश लार्ज कैप शेयरों मे रहेगा और बाकी का पैसा मिड और स्मॉल कैप वाले शेयरों मे निवेश किया जा सकता है। यानी कि फंड के पोर्टफोलियो मे स्थिरता और ग्रोथ दोनों को ध्यान में रखा गया है। साथ ही कंपनी की रणनीति एनएफओ के दौरान इकट्ठे किए गए पैसों को एक साथ शेयर बाजार मे निवेश करने की बजाय अगले कुछ महीनों मे धीरे-धीरे किस्तों मे करने की है। इसका फायदा यह होगा कि यदि शेयर बाजार मे उतार-चढ़ाव के बीच यदि गिरावट आती है तो इसका लाभ उठाया जा सके।

सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था और सरकार की नीतियों के साथ-साथ कंपनी के फंडामेंटल जैसे कि कंपनी की ग्रोथ, कम्पनी का मैनेजमेंट, कम्पनी के ऊपर कर्ज इत्यादि को ध्यान मे रखकर ही इस फंड मे शेयरों का चुनाव किया जाएगा और समय-समय पर पोर्टफोलियो मे जरूरत के मुताबिक बदलाव भी किया जाएगा।

एक फ्लेक्सी कैप फंड औसत से बेहतर प्रदर्शन तभी कर पाएगा जब फंड मे दी गयी फ्लेक्सीबिलिटी का फायदा उठाया जा सके और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड का कहना है कि इसके लिए फंड हाउस ने एक वैल्यूएशन मॉडल तैयार किया है। जिसके आधार पर सभी मार्केट कैप वाले चुनिन्दा शेयरों को पोर्टफोलियो में जगह मिलेगी। कम-से-कम 5,000 रुपए से इस फंड मे निवेश की शुरुआत की जा सकती है।

यह फंड एक मुश्त निवेश और एसआईपी के लिए उपयुक्त है। पांच साल या उससे अधिक अवधि के नजरिए से इस फंड में निवेश किया जा सकता है।

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