IDBI Bank के बिक्री प्रबंधन के लिए सात कंपनियों ने लगाई बोली, जानिए हर जरूरी जानकारी,

बोली लगाने वाली फर्म में डेलॉइट टौच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी अर्न्स्ट एंड यंग एलएलपी आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड केपीएमजी आरबीएसए कैपिटल एडवाइजर्स एलएलपी और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स जैसी फर्म शामिल हैं।मौजूदा समय में IDBI बैंक में सरकार और एलआईसी के पास 94 प्रतिशत से अधिक का स्वामित्व है।

 

नई दिल्ली, पीटीआइ। IDBI बैंक की बिक्री प्रबंधन के लिए जेएम फाइनेंशियल, अर्न्स्ट एंड यंग और डेलॉइट सहित सात फर्मों ने अपनी बोली लगाई है। Department of Investment and Public Asset Management(DIPM) के एक नोटिस के अनुसार, ये सभी फर्म 10 अगस्त को बिक्री प्रक्रिया संभाल रहे विभाग, DIPM के सामने एक एक वर्चुअल प्रजेंटेशन देंगी। बोली लगाने वाली फर्म में डेलॉइट टौच तोहमात्सु इंडिया एलएलपी, अर्न्स्ट एंड यंग एलएलपी, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड, केपीएमजी, आरबीएसए कैपिटल एडवाइजर्स एलएलपी और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स जैसी फर्म शामिल हैं।

मौजूदा समय में IDBI बैंक में सरकार और एलआईसी के पास 94 प्रतिशत से अधिक का स्वामित्व है, जिसमें एलआईसी की हिस्सेदारी 49.24 प्रतिशत है जबकि सरकार की 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके अलावा 5.92 प्रतिशत की नॉन-प्रमोटर हिस्सेदारी भी है। हिस्सेदारी को कितने मात्रा में कम किया जाए इसका फैसला बाद में किया जाएगा। सरकार ने जून में प्रतिष्ठित पेशेवर परामर्श फर्मों, निवेश बैंकरों, मर्चेंट बैंकरों, वित्तीय संस्थानों और बैंकों से IDBI बैंक लिमिटेड के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया में प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण की प्रक्रिया में DIPAM की सुविधा और सहायता के लिए बोलियां आमंत्रित की थी। साथ ही सरकार ने बोली जमा करने की आखिरी तारीख को 22 जुलाई कर दिया गया है जो कि पहले 13 जुलाई तक थी। लेन-देन के RFP(Request for Proposal) चरण से पहले कितनी मात्रा में हिस्सेदारी को कम करना है यह तय किया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट में कहा था कि IDBI बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया चालू वित्त वर्ष में पूरी हो जाएगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री और निजीकरण से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। जिसमें 1 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने से, जबकि 75,000 करोड़ रुपये सीपीएसई विनिवेश प्राप्तियों के रूप में हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। चालू वित्त वर्ष में अब तक सरकार ने 7,648 करोड़ रुपये विनिवेश प्राप्तियों के रूप में जुटाए हैं।

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