लखनऊ विकास प्राधिकरण के लिए देवपुर पारा के अपार्टमेंट सिरदर्द बन गए हैं। पहले के बिल्डरों ने काम शुरू करने से पहले छोड़ दिया और अब नए मिल नहीं रहे हैं। ऐसे में वर्ष 2015 का प्रोजेक्ट का आज भी लंबित है।
लखनऊ । लखनऊ विकास प्राधिकरण लविप्रा के लिए देवपुर पारा के अपार्टमेंट सिरदर्द बन गए हैं। पहले के बिल्डरों ने काम शुरू करने से पहले छोड़ दिया और अब नए मिल नहीं रहे हैं। ऐसे में वर्ष 2015 का प्रोजेक्ट का आज भी लंबित है। देवपुर पारा में हजारों आवंटियों के लिए कई टॉवर बनाए जाने थे। चार बार टेंडर में कोई नहीं आया। पांचवीं बार टेंडर किया गया, तो चार बिल्डर आए, लेकिन उनमें भी दो निरस्त कर दिए गए और दो कंपनियों के कागजात ही पूरे नहीं थे। ऐसे में फिर टेंडर निकालने की प्रकिया के कारण आवंटियों को अपनी सालों इंतजार करना पड़ सकता है अपनी छत को पाने के लिए। हालांकि लविप्रा की टीम फिर से नई कमेटी के हिसाब से बदलाव करते हुए टेंडर निकालने के लिए प्रयास कर रही है। उधर लविप्रा की साख भी आवंटियों को छत न उपलब्ध करा पाने से प्रभावित हो रही है।
लविप्रा ने 173 173 करोड़ के दो टेंडर निकाले थे, इनमें कई बहुमंजिला टॉवर खड़े होने थे। पांचवें टेंडर में मोजिका, बावे, एसएसके और कीन एंड क्लीन नाम की कंपनियां आगे भी आई। तकनीकी बिड में जब कागजात की गई तो पूरे नहीं मिले, ऐसे में अभियंताओं द्वारा महीनों की कवायद पर झटका लग गया। एक बार फिर से यह प्रकिया शुरू की जाएगी। वहीं दर्जनों आवंटी ऐसे हैं, जो अब रुकना नहीं चाहते और अपना पैसा वापस ले रहे हैं। क्योंकि लविप्रा पिछले छह साल से कब्जा नहीं दे पाया है। वहीं टेंडर से लेकर कब्जा देने तक कम से कम दो से ढाई साल अभी प्रोजेक्ट में लगने तय है। इसलिए आवंटी भी अपना पैसा ब्याज सहित लेकर लविप्रा व अन्य निजी बिल्डरों में निवेश करना चाहते हैं।
करीब दो हजार से अधिक आवंटी परेशान
देवपुर पारा में समय से फ्लैट का निमाZण न कराने में लविप्रा विफल रहा है। हालांकि पिछले चार सालों में लविप्रा लगातार प्रयास करता रहा है लेकिन कोई न कोई अड़ंगा इस प्रोजेक्ट पर लगता रहा है। ऐसे में यहां के दो हजार से अधिक निवेशकताZ अपनी पूंजी निकालने में विश्वास रख रहे हैं। वहीं लविप्रा को विश्वास है कि एक बार काम शुरू हो जाए लविप्रा अपने फ्लैट बेच लेगा और लोग लेने के लिए लाइन लगाएंगे।हालांकि अभी प्रोजेक्ट शुरू नहीं हुआ है और बनने में ढाई साल कम से कम लगने तय हैं।