एनएसई ने गुरुवार से ट्रेडिंग का समय बढ़ाने का फैसला लिया है। एनएसई ने एक सर्कुलर जारी कर नए बदलाव की जानकारी दी है। ट्रेडिंग समय में ब्याज दर डेरिवेटिव्स के लिए लिए बदलाव किया गया है। (फोटो- जागरण)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। प्रमुख मार्केट एक्सचेंज एनएसई ने ट्रेडिंग टाइम में बदलाव का फैसला लिया है। नया फैसला इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए लिया गया है। एनएसई ने गुरुवार से ट्रेडिंग टाइम शाम 5 बजे तक बढ़ाने का फैसला लिया है। मालूम हो कि वर्तमान में ट्रेंडिग का टाइम सुबह 9 बजे से शाम 3:30 बजे तक है।
एनएसई का नया फैसला गुरुवार से हो रहा है लागूएक सर्कुलर में प्रमुख मार्केट एक्सचेंज एनएसई ने कहा है कि ”एक्सपायरी महीने फरवरी 2023 के लिए इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स एक्सपायरी के दिन यानी 23 फरवरी, 2023 को शाम 5:00 बजे तक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे। अन्य इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए ट्रेडिंग के घंटों में कोई बदलाव नहीं होगा।”
इसके अलावा, 23 फरवरी, 2023 के बाद समाप्ति वाले सभी मौजूदा अनुबंध और उसके बाद पेश किए गए सभी नए समाप्ति अनुबंध समाप्ति के दिन शाम 5 बजे तक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध रहेंगे।
फाइनल सेटलमेंट प्राइस कंप्यूटेशन मैकेनिज्म में कोई बदलाव नहींएक्सचेंज की ओर से यह भी साफ किया गया है कि फाइनल सेटलमेंट प्राइस कंप्यूटेशन मैकेनिज्म में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं रहेगा। दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स की ओर से ऐसी खबरें सामने आ रही थीं कि एनएसई शाम 5 बजे तक इक्विटी सेगमेंट में ट्रेडिंग के घंटे बढ़ाना चाहता है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब ट्रेडिंग टाइम का बढ़ना सुर्खियों में आया हो।
पहले भी कई बार हो चुका है ट्रेंडिग टाइम में बदलावजनवरी में सेबी ने स्टैंडर्ड ओपरेटिंग प्रॉसेस के तहत स्टॉक एक्सचेंजों से ऐसी घटनाओं के 15 मिनट के भीतर हितधारकों को ट्रेडिंग व्यवधानों के बारे में सूचित करने और कुछ आउटेज स्थितियों में ट्रेडिंग समय को डेढ़ घंटे तक बढ़ाने के लिए कहा गया था।
वहीं साल 2018 में मार्केट रेगुलेटर सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों को इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में अपने ट्रेडिंग टाइम को सुबह 9 बजे से 11:55 बजे के बीच सेट करने की परमिशन दी थी। मौजूदा समय में घरेलू शेयर बाजार सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे के बीच खुले हैं।
बाजार के जानकारों की मानें तो भारतीय शेयर बाजारों में लंबे कारोबारी घंटे ग्लोबल इंफोर्मेशन फ्लो की वजह से होने वाले ओवरनाइट जोखिम को कम कर सकते हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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