विषम परिस्थितियों में कोविड संक्रमण का दंश झेलने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मैदान में ले रहे मोर्चा। लड़ाई को धार देने के लिए 11 मंडलों के 47 जिलों को मथ चुके। होम आइसोलेशन में रहते हुए भी उन्होंने टीम लीडर की महती जिम्मेदारी बखूबी निभाई।
लखनऊ : कोरोना के खिलाफ जारी जंग में शुरुआत से ही टीम वर्क पर जोर देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घोर आपदा के इस काल में खुद एक कर्तव्यनिष्ठ टीम लीडर बनकर उभरे हैं। महामारी की इन विषम परिस्थितियों में खुद कोरोना संक्रमण का दंश झेलने के बाद अब वह इस अभूतपूर्व चुनौती से निपटने के लिए खुद मैदान में आ डटे हैं।
कोरोना संक्रमण की पहली लहर का सफलतापूर्वक मुकाबला करने वाले योगी दूसरी लहर के दौरान बीती 14 अप्रैल को खुद कोविड संक्रमित हो गए थे, लेकिन होम आइसोलेशन में रहते हुए भी उन्होंने टीम लीडर की महती जिम्मेदारी बखूबी निभाई। रोजाना न सिर्फ शासन के वरिष्ठ अफसरों के साथ सूबे में कोरोना प्रबंधन की समीक्षा की बल्कि वर्चुअल संवाद कार्यक्रमों की श्रृंखला के जरिए समाज के विभिन्न तबकों से रूबरू हुए। उन्हें जागरूक किया और इस लड़ाई में कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए उनका उत्साहवर्धन भी। 30 अप्रैल को कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आते ही योगी ने मैदान में मोर्चा संभाल लिया।
शुरुआत लखनऊ में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से बनाए गए डेडीकेटेड कोविड हॉस्पिटल के निरीक्षण से हुई थी और तब से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। प्रदेश में कोरोना के खिलाफ जारी जंग की अगुआई करते हुए योगी अब तक 11 मंडलों के 47 जिलों का दौरा कर चुके हैं। हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ, अलीगढ़, आगरा और मथुरा जिलों का दौरा करने वाले योगी ने ग्राउंड जीरो पर सच्चाई परखी। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के 18 शिक्षकों की असमय मौत से चिंतित और व्यथित योगी ने संजीदा हालात का जायजा लेने के लिए वहां पहुंचने में देर नहीं की। 37 साल बाद यह पहला मौका था जब सूबे के मुख्यमंत्री ने एएमयू में कदम रखा था।
उन्होंने मंडलों में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की तो गांवों में कोरोना संक्रमण को घेरने की सरकारी कवायद की असलियत जानी। कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए जिलों में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की कार्यशैली देखी। निरीक्षण के लिए सरकारी अफसरों पर भरोसा करने की बजाय हर जिले में उन्होंने खुद गांवों का चयन किया और वहां जाकर कोरोना पीडि़तों को मेडिकल किट वितरण और स्वच्छता अभियान की हकीकत जानी। फील्ड में खामियां मिलने पर जिम्मेदारों को फटकार लगाई तो उच्चाधिकारियों को कोरोना योद्धाओं का मनोबल ऊंचा रखने के लिए प्रेरित भी किया।