नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमण के बाद पहले हफ्ते के दौरान यदि पीड़ित में पांच या इससे अधिक लक्षण उभरते हैं तो कोरोना संक्रमण अधिक समय तक खींच सकता है और इससे स्वस्थ होने में भी लंबा वक्त लग सकता है।
लंदन, प्रेट्र। कोरोना महामारी की शुरुआत के साथ ही अध्ययनों व शोध की भी शुरुआत हो गई जो अब तक जारी है। ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी में किए गए शोध के नतीजों में दावा किया गया है कि संक्रमण के बाद स्वस्थ होने में लगने वाला समय लक्षणों पर निर्भर करता है। इसका मतलब जितने अधिक लक्षण उतना अधिक समय।
कोरोना वायरस (कोविड-19) की चपेट में आने वाले संक्रमितों में इस खतरनाक वायरस के संक्रमण से जुड़े लक्षणों को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका कहना है कि अगर संक्रमण के चपेट में आने के बाद पहले हफ्ते के दौरान यदि पीड़ित में पांच या इससे अधिक लक्षण उभरते हैं तो कोरोना संक्रमण अधिक समय तक खींच सकता है और इससे स्वस्थ होने में भी लंबा वक्त लग सकता है। अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर यह दावा किया गया है।
कई माह तक बरकरार रह सकते हैं लक्षण
जर्नल आफ रायल सोसाइटी आफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययनों की समीक्षा के अनुसार, इस तरह के कोरोना संक्रमितों में लक्षण कई माह तक रह सकते हैं। ब्रिटेन की बर्मिघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने समीक्षा में ऐसे दस प्रकार के लक्षणों पर गौर किया गया, जो आमतौर पर लंबे समय तक रहते हैं। ये लक्षण थकान, सांस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द, खांसी, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, सीने में दर्द, दस्त, स्वाद और सूंघने की क्षमताओं में कमी हैं।
स्वस्थ होने के बावजूद 8 हफ्ते तक बीमार महसूस करते रहे संक्रमित
बर्मिघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ओलालेकन ली एयेगबुसी ने कहा, ‘इसके प्रमाण हैं कि ज्यादातर गंभीर मामलों में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य और रोजगार पर भी पड़ता है। कोरोना से लंबे समय तक जूझने वाले लोगों को आमतौर पर लगता है कि वे अकेले पड़ गए हैं। उन्हें सीमित या विरोधाभासी सलाहें भी मिलती हैं।’ शोधकर्ताओं के अनुसार, इन अध्ययनों में शामिल किए गए मरीजों में से एक तिहाई से ज्यादा ने बताया कि वे कोरोना की चपेट में आने के आठ हफ्ते बाद भी खुद को बीमार महसूस कर रहे हैं।