अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगलवार को देश के अंतरिक्ष यात्रियों को एक बार फिर चांद पर भेजने संबंधी मिशन की समयसीमा एक साल के लिए बढ़ा दी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान मिशन को वर्ष 2024 में लांच करने का फैसला किया गया था।
वाशिंगटन, न्यूयार्क टाइम्स। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगलवार को देश के अंतरिक्ष यात्रियों को एक बार फिर चांद पर भेजने संबंधी मिशन की समयसीमा एक साल के लिए बढ़ा दी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान मिशन को वर्ष 2024 में लांच करने का फैसला किया गया था। फ्लोरिडा के पूर्व सीनेटर व साल की शुरुआत में राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा नियुक्त किए गए नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा, ‘वर्ष 2025 में भी कुछ समय लग सकता है।’ उन्होंने परियोजना में देरी के लिए मून लैंडर को लेकर स्पेसएक्स के साथ चली मुकदमेबाजी और नासा के कैप्सूल ओरियन के निर्माण में देरी को जिम्मेदार ठहराया।
नेल्सन ने कहा, ‘हम मुकदमेबाजी में करीब सात महीने खराब कर चुके हैं। इसकी वजह से अभियान को वर्ष 2025 से पहले लांच नहीं किया जा सकता। हमें स्पेसएक्स के साथ विस्तृत बात करनी होगी, ताकि हम स्पष्ट समयसीमा तय कर सकें।’ दिसंबर 2022 में पिछले अंतरिक्ष यात्री द्वारा चांद पर कदम रखे जाने के 50 साल पूरे हो जाएंगे। वर्ष 1972 में अपोलो 17 मिशन की वापसी के बाद नासा ने दूसरे लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर लिया था। लेकिन, बीच-बीच में मून मिशन पर चर्चाएं होती रहीं। ट्रंप शासन के दौरान भी मून मिशन चर्चाओं में रहा।
पिछले करीब 50 वर्षो में साल 2019 में पहली बार तत्कालीन उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजे जाने की योजना से पर्दा उठाते हुए इसके लिए वर्ष 2024 की समयसीमा तय किए जाने का एलान किया था। उन्होंने कहा था कि यह नया मिशन नासा के कई लोगों समेत अंतरिक्ष उद्योग को चकित कर देने वाला, लेकिन अत्यंत आवश्यक है। मिशन में अमेरिका की पहली महिला व अगले पुरुष अंतरिक्ष यात्री को शामिल किया जाएगा। इसके जरिये अमेरिका यह साबित करना चाहता था कि वह पिछली सदी के छठे दशक की तरह आज भी अंतरिक्ष की दौड़ में है। इसका संदर्भ चीन से था, जिसने वर्ष 2030 में चांद पर मानव मिशन भेजने की घोषणा की है।