प्रदेश सरकार विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं योजनाओं एवं परियोजनाओं को सीएम-डैशबोर्ड से जोड़ रही है। इसके जरिए विभिन्न विभागों द्वारा नागरिकों को उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं व विभागों की योजनाओं को लेकर रैंकिंग एवं ग्रेडिंग की जाएगी। शासन एवं निदेशालय स्तर पर सभी प्रोजेक्ट की प्रगति देखने के बाद रैंकिंग होगी।
लखनऊ, प्रदेश सरकार ने जिले की कानून व्यवस्था की समीक्षा की जिम्मेदारी एक बार फिर जिलाधिकारियों को सौंप दी है। कानून व्यवस्था की समीक्षा की पुरानी व्यवस्था को सरकार ने बहाल कर दिया है। हालांकि यह व्यवस्था उन्हीं जिलों में लागू होगी जहां पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू नहीं है। इन जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पुलिस लाइन में समीक्षा की जाएगी। जिन जिलों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू है उन जिलों में कानून व्यवस्था की समीक्षा पुलिस आयुक्त की अध्यक्षता में ही होगी।
प्रदेश के सात जिलों में लखनऊ, कानपुर, नोएडा, वाराणसी, प्रयागराज, आगरा एवं गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू है। शेष जिलों में पुरानी व्यवस्था ही चल रही है। कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग ने मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की ओर से प्रदेश की कानून व्यवस्था एवं विकास कार्यों के मूल्यांकन, निगरानी एवं समीक्षा को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कराए हैं। आदेश में कहा गया है कि जिन जिलों में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू नहीं है, वहां कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक पुलिस लाइन में की जाएगी।
सीएम डैशबोर्ड में होगी रैंकिंग
प्रदेश सरकार विभिन्न विभागों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं, योजनाओं एवं परियोजनाओं को सीएम-डैशबोर्ड से जोड़ रही है। इसके जरिए विभिन्न विभागों द्वारा नागरिकों को उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं व विभागों की योजनाओं को लेकर रैंकिंग एवं ग्रेडिंग की जाएगी। शासन एवं निदेशालय स्तर पर सभी प्रोजेक्ट की प्रगति देखने के बाद रैंकिंग होगी। मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों की रैंकिंग फ्लैगशिप प्रोजेक्ट की समीक्षा के बाद होगी। पुलिस आयुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व पुलिस अधीक्षक के अलावा नगर निगम, विकास प्राधिकरण एवं विश्वविद्यालयों की भी रैंकिंग व ग्रेडिंग की जाएगी।