अब श्रीलंका में सियासी संकट गहराने के संकेत, विपक्ष ने कहा- सरकार को हटाने के लिए संवैधानिक प्रविधानों का करेंगे इस्तेमाल

पाकिस्‍तान के बाद अब श्रीलंका में सियासी संकट के गहराने के संकेत मिल रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि वह मौजूदा सरकार को हटाने के लिए सांविधानिक तरीकों और प्रक्रियाओं का पालन करेगा। पढ़ें विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा का बयान…

 

कोलंबो । श्रीलंका में जारी आर्थ‍िक संकट आने वाले दिनों में सियासी संकट (Political Crisis in Sri Lanka) के रूप में तब्‍दील हो सकता है। श्रीलंका में मौजूदा सरकार को हटाने के लिए विपक्ष सक्रिय हो गया है। विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा (Sajith Premadasa) ने कहा कि वे सरकार बदलने के लिए संवैधानिक प्रविधानों का इस्तेमाल करेंगे। हालांकि उन्‍होंने पाकिस्तान जैसे अविश्वास प्रस्ताव की संभावना को खारिज कर दिया।

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए विपक्षी नेता (Sajith Premadasa) ने कहा- पाकिस्तान के पास लोकतांत्रिक राजनीति का अपना तरीका है जबकि हमारे अपने सांविधानिक प्रविधान हैं। हम अपने देश के संविधान के अलावा किसी दूसरी चीज का पालन नहीं करेंगे। हमारे पास घरेलू समस्याएं हैं जिनकी मुल्‍क में ही समाधान करने की जरूरत है। हम नागरिकों के साथ प्रदर्शन करेंगे। यह सुनिश्चित करेंगे कि यह शांतिपूर्ण हो।

 

विपक्षी नेता (Sajith Premadasa) ने यह भी कहा कि हम लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सांविधानिक प्रक्रियाओं के सहारे समाधान की कोशिश करेंगे। श्रीलंका को भारी द्विपक्षीय ऋणों का भुगतान करना है… पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रेमदासा ने कहा कि देश ने न केवल द्विपक्षीय कर्ज लिया है वरन विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक बाजारों से बहुपक्षीय ऋण भी लिया है। ऐसे में हमें कुछ प्रक्रियाओं को अपनाने की जरूरत है।

 

साजिथ प्रेमदासा (Sajith Premadasa) ने कहा कि सरकार में वित्तीय विशेषज्ञों को शामिल करने के उनके प्रस्तावों को 24 घंटे के भीतर स्वीकार कर लिया गया। यदि सरकार रोडमैप का समुचित तरीके से पालन करती है तो श्रीलंका एक देश के रूप में जीवित रह सकता है। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने गोटाबाया सरकार पर अक्षम होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ कि लोगों को जरूरी सामानों की खरीद के लिए लाइन में लगना पड़े। इसके लिए गोटाबाया सरकार जिम्मेदार है।

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