नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ के बाद अब ईडी ने नई कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच एजेंसी ने मंगलवार को 14 ठीकनों पर छापेमारी की। दिल्ली में कई ठिकानों के साथ कोलकाता और अन्य शहरों में भी छापेमारी हुई। कांग्रेस ने इस कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस का कहना है कि राजनीतिक बदले की भावना से यह कार्रवाई की जा रही है।
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, आजाद भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है जब कि सरकार राजनीतिक घृणा और बदले की भावना से काम कर रही है। भारत के विपक्ष को परेशान करने लिए यह भारतीय राजनीति का सबसे निचला स्तर है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार दो ज्वलंत मुद्दों, महंगाई और बेरोजगारी से ध्यान हटाने का प्रयास कर रही है लेकिन कांग्रेस ऐसा होने नहीं देगी और संसद के बाहर और अंदर लड़ाई जारी रहेगी।
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
अधिकारियों के मुताबिक ईडी ने दस्तावेज बरामद करने के लिए छापेमारी की है। भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने 10 साल पहले यह मामला दर्ज करवाया था। सुब्रमण्यम स्वामी का कहना था कि एजेएल को टेकओवर करने के लिए यंग इंडिया के माध्यम से कांग्रेस के फंड का दुरुपयोग किया गया। नेशनल हेराल्ड एक आजादी के पहले का अखबार है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस अखबार की शुरुआत की थी।
असोसिएट जर्नल्स लिमिटेड इसका प्रकाशन करती थी। 5 हजार से अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इस कंपनी के शेयरहोल्डर थे। एजेएल को दिल्ली-मथुरा रोड पर 1962 में जमीन आवंटित की गई थी। 2008 में अखबार का संचालन बंद कर दिया गया और बताया गया कि कंपनी घाटे में है। 2010 तक कंपनी के 1 हजार से ज्यादा शेयर धारक थे लेकिन 2011 में इसे यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया गया।
कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगीः मल्लिकार्जुन खड़गे
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, कांग्रेस की छवि खराब करने के लिए राजनीतिक बदले की भावना से काम किया जा रहा है। पार्टी सरकार की इस तरह की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार कांग्रेस नेताओं को डराकर उनकी आवाज दबाना चाहती है।
भाजपा ने किया पलटवार
वहीं कांग्रेस की टिप्पणी पर भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि ईडी अपना काम कर रही है। इसका संदेश यह भी है कि कानून की नजर में सभी बराबर हैं। कांग्रेस चिल्लाकर कह रही है कि यह राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है तो फिर राहुल गांधी और सोनिया गांधी को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से राहत क्यों नहीं मिली।