स्वयं पर विश्वास और साथ ही अपने दिलों को कृतज्ञ रखते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास, कई कई जादू कर सकता है।
हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी तब शुरू होती है जब हम स्वयं पर विश्वास करना छोड़ देते हैं। अब भले ही वह हमारा अपना कम आत्म सम्मान हो, हमारी सोच का सिकुड़ा हुआ दायरा हो, खुद पर भरोसे की कमी हो, या फिर अपने सुविधा-क्षेत्र से हट कर कुछ करने का भय हो, इन सब का ही परिणाम निश्चित ही भयावह होता है।
कभी कभी ये हमारी बीती गलतियों की गूंज होती है तो कभी हमारे आज या आने वाले कल की चुनौतियों का भय।
अगर कभी आप अपने जीवन या किन्ही गतिविधियों के प्रति स्वयं को हतोत्साहित पाएं, तो जान लें कि या तो आप किसी दूसरे की उम्मीदों पर अपना जीवन जी रहे हैं या फिर आप अपनी स्वयं की ताकतों या संभावनाओं को भांप नही पा रहे हैं।
दरअसल सारी सच्चाई और वास्तविकता ये है कि हम आजीवन इस तरह से समझाए ही और निर्मित किए गए हैं कि हम स्वयं पर संशय करते रहें। हमारे अंतर्निहित कुछ खोने का/हारने का भय है। हमे स्वयं को एक ऐसी नयी दिशा देनी होगी जो हमारे डरों और आत्म-संदेह को खत्म कर सके और हम अपने आत्म मूल्य और विश्वास को जागृत कर सकें।
याद रहे, हम अपने जीवन में जो भी कुछ पाते हैं, वो हमे हमारे स्वयं के ऊपर के यकीन का ही नतीजा होता है।
स्वयं पर भरोसा पैदा करने के ये पाँच बेहद महत्वपूर्ण चरण हैं। इनको घुट्टी की तरह पी जाइए और आप नतीजे पाकर आश्चर्यचकित हो उठेंगे।
1. स्वयं के साथ अच्छा आचरण रखें
आप को स्वयं से प्रेम करने की महत्ता समझनी होगी। अपने मूल्य, अपनी कीमत को पहचानिए और अपने द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के लिए सबसे पहले खुद को खुद से सराहिए और आपके द्वारा हो चुकी कोई गलतियों के लिए स्वयं को माफ़ भी करिए। फिर से चमकने के लिए, आशा की एक किरण सदा ही होती है। हर तूफ़ान के बाद एक सूरज फिर निकलता है। अपनी कद्र करिए, आप बहुत प्यारे हैं, यकीन रखिए आप एक रॉकस्टार हैं।
2. दृढ़ निश्चय की शक्ति में यकीन रखिए
जब आप अपने ऊपर यकीन करें , तो आपको पहले ये यकीन करना होगा कि आप जो भी चाहते हैं या पाना बनना चाहते हैं, वो आपकी पहुंच के भीतर है। स्वयं से की हुई अच्छी बातों पर भरोसा करिए; सारी नकारात्मकता को सकारात्मकता में तब्दील करिए, अपने को इन शब्दों के उपयोग से दूर रखिए- मैं नही कर सकता, ये नामुमकिन है, मैं किसी काम का नहीं, कोई मुझसे प्यार नहीं करता, मैं पराजित हूं, आदि। इसको दोबारा अध्यादेश करें, बोलना शुरू करिए, मैं कर सकता हूं, मैं करूंगा, ये मुमकिन है, मैं सक्षम हूं, मैं अभी कर रहा हूं, मैं एक विजेता हूं। दरस्ल हमारा दिमाग एक इतना मज़बूत औज़ार है, कि अगर आपने दृढ़ निश्चय कर लिया तो ये आपको वास्तव मे हर वो चीज़ दे सकता है जो आप चाह लें।
एक बहुत ही विख्यात सलाहकार रोनाल्ड अलेक्जेंडर ने अपनी किताब में लिखा है, ” एक खुला दिमाग ही होशियार दिमाग है” कि विजयी होने के लिए आपको वाकई स्वयं के प्रति नकारात्मकता और निर्णय को दूर करना ही होगा।
3. अपनी विशिष्टता पर यकीन रखिए। हां, आप अलग हो।
अपने आप को वैसा ही स्वीकारिए जैसे आप हो न कि जैसा आप होना चाहते हो या कोई और आपको होना देखना चाहता है। आप अलग हो। अपनी विशिष्टता को उजागर करिए। आपको एक ज़रूर मिलेगी। हम सब के पास अपनी क्षमताएँ हैं, कौशल है, योग्यता है, अपना अपना विवेक है जो हमको असाधारण बनाता है। दरअसल हमको हमारी क्षमताओं का सही बोध ही नही। जीवन में सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य है इस बात को स्वीकार कर लेना कि हम वास्तव में कितने अलग और अद्वितीय हो सकते हैं।
4. कृतज्ञ रहिए और कार्य उन्मुख बने रहिए
कृतज्ञता के स्वभाव का लालन पोषण करते रहिए, जो भी चीज़ आपके पास है, उसके लिए सदा कृतज्ञ रहिए, ये आपको उल्लसित भी रहेगा और साथ ही संघर्ष करते रहने को भी उत्तेजित करेगा। ये आपको अंदर से खुश रखेगा और एक खुश दिमाग ही अच्छे नतीजे और निष्कर्ष लाएगा। अपने जीवन की ज़िम्मेदारी अपने हाथों में लीजिए। आपके अंदर हर तूफ़ान से लड़ कर और निखर कर सामने आने की सशक्ति है।
5. बराबर बने रहिए
किसी भी उपलब्धि की कहानी उसकी अटलता मे, धैर्य मे और आत्म विश्वास में है। रुकावटें और बाधाएं किसी भी बड़े प्रयास के अभिन्न अंग हैं। इसलिए हमें सदा सकारात्मक होना चाहिए और खुद को याद दिलाते रहना चाहिए कि हर रात के बाद एक दिन है। अस्वीकरण और असफलताएँ हमको निश्चित ही एक बेहतर हम बनाती हैं। ये हमारी सोच को एक जीतता हुआ नज़रिया प्रदान करते हैं जिससे हम अपनी हर समस्या का आसानी से निदान कर सकते हैं और कभी न खत्म होने वाली खुशी के रास्ते पर सदा अग्रसर रह सकते हैं।
[ शान ए फ़ातिमा ]