‘इंडोनेशिया के साथ पाम तेल प्रतिबंध पर बातचीत शुरू करे सरकार’, खाद्य तेल उद्योग का सुझाव

भारत में पाम ऑयल की जरूरत का बड़ा हिस्सा इंडोनेशिया से आयात किया जाता है लेकिन बीते दिनों इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया जिसका भारत पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में SEA ने सरकार को इंडोनेशिया से बातचीत का सुझाव दिया है।

 

कोलकाता, पीटीआइ। कुकिंग ऑयल की राष्ट्रीय उद्योग संस्था सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने भारत सरकार को इंडोनेशिया द्वारा प्रस्तावित पाम तेल निर्यात प्रतिबंध (28 अप्रैल से) पर वहां की सरकार के साथ तत्काल वार्ता शुरू करने का सुझाव दिया है क्योंकि उसके निर्यात प्रतिबंध से भारत में प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

दरअसल, इंडोनेशिया पाम तेल का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है और भारत में कुल पाम तेल की आवश्यकता की ज्यादातर आपूर्ति वहीं से होती है लेकिन उसने अपने घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए अगली सूचना तक निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।

एसईए के महानिदेशक बी वी मेहता ने बताया, “हमने सुझाव दिया है कि हमारी सरकार खाना पकाने के तेल निर्यात प्रतिबंध को लेकर उच्चतम राजनयिक स्तर पर इंडोनेशियाई समकक्षों के साथ बातचीत शुरू करे। इसका हमारे घरेलू बाजार पर गंभीर असर होगा क्योंकि हमारे कुल पाम तेल का आधा आयात इंडोनेशिया से होता है और कोई भी इस कमी को पूरा नहीं कर सकता है।”

उन्होंने कहा कि एसईए केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के साथ संपर्क में है। मेहता ने कहा, “… उद्योग को प्रतिबंध की उम्मीद नहीं थी। सोमवार से ही घरेलू बाजार में कीमतों पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि प्रतिबंध की खबर ने धारणा को बिगाड़ दिया है।”

हालांकि, खाना पकाने के तेल उद्योग, इंडोनेशिया द्वारा निर्यात शुल्क में सबसे खराब बदलाव के लिए तैयार था, जो अपने घरेलू बाजार में खाना पकाने के तेल की कीमतों में लगभग 40-50 प्रतिशत की वृद्धि से जूझ रहा है। इंडोनेशिया 575 डॉलर प्रति टन निर्यात शुल्क लगा रहा था।

मेहता ने कहा, “इस खबर से (प्रतिबंध) मलेशिया के तेल की कीमतों में तेजी आएगी, जो कि हमारा प्रमुख वैकल्पिक सोर्सिंग बाजार है।” उन्होंने कहा, “भारत सालाना 22.5 मिलियन टन खाद्य तेल की खपत करता है, जिसमें से 9 से 9.5 मिलियन टन घरेलू आपूर्ति और शेष आयात से पूरा किया जाता है।”

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