पाकिस्तान के पूर्व विकेटकीपर कामरान अकमल ने कहा कि भारतीय क्रिकेट एक सुनहरे दौर से गुजर रहा है क्योंकि देश ने कभी भी टेस्ट क्रिकेट से समझौता नहीं किया। इसका एक और कारण यह है कि पूर्व क्रिकेटर खेल से जुड़े हुए हैं।
लाहौर, आइएएनएस। पाकिस्तान के पूर्व विकेटकीपर कामरान अकमल ने कहा कि भारतीय क्रिकेट एक सुनहरे दौर से गुजर रहा है, क्योंकि देश ने कभी भी टेस्ट क्रिकेट से समझौता नहीं किया। इसका एक और कारण यह है कि पूर्व क्रिकेटर खेल से जुड़े हुए हैं। बता दें कि टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीम को हराकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियशिप के फाइनल में पहुंची। यह मुकाबला 18 से 22 जून के बीच न्यूजीलैंड के खिलाफ साउथैंप्टन में खेला जाएगा।
अकमल ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, ‘भारत ने अपने टेस्ट क्रिकेट से कोई समझौता नहीं किया है। भारत में स्कूल स्तर पर दो दिवसीय और तीन दिवसीय क्रिकेट होते है। आज उनके पास 50 खिलाड़ियों का एक पूल है क्योंकि भारतीय क्रिकेट ने टेस्ट क्रिकेट को बहुत महत्व दिया है। महेंद्र सिंह धौनी को छोड़कर भारतीय क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ियों में कोई भी वनडे क्रिकेट खेलने के बाद संन्यास नहीं लिया है। सभी खेले एक टेस्ट मैच खेलकर संन्यास लिया। इससे हमें उनके दृष्टिकोण के बार में पता चलता है: टीम कैसे बनाई जाए, खिलाड़ियों को भारतीय टीम में कैसे लाया जाए।’
अकमल ने भारत के घरेलू क्रिकेट की भी प्रशंसा की, जिसे उन्होंने टीम की सफलता के कारणों में से एक बताया। उन्होंने कहा, ‘उनकी वनडे या लिस्ट ए खिलाड़ी, जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आते हैं, तो वे पहले ही 40 से 50 मैच खेल चुके होते हैं। इसके सबसे बड़े उदाहरण सूर्यकुमार यादव हैं, जिन्होंने हाल ही में लंबे इंतजार के बाद भारत के लिए पदार्पण किया। इनमें से अधिकांश खिलाड़ियों के पास कम से कम चार से पांच साल का घरेलू क्रिकेट का अनुभव है। जब वे भारतीय टीम में आते हैं, तो वे पहले से ही काफी परिपक्व होते हैं।’
अकमल ने राहुल द्रविड़ और लेग स्पिनर अनिल कुंबले और वीवीएस लक्ष्मण जैसे पूर्व क्रिकेटरों के योगदान की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि इनका योगदान भारत की सफलता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट की मानसिकता सराहनीय है। 90 के दशक के सभी भारतीय दिग्गजों को देखें – राहुल द्रविड़ से लेकर अनिल कुंबले से लेकर वीवीएस लक्ष्मण तक सभी किसी न किसी तरह से भारतीय क्रिकेट से जुड़े हुए हैं। इससे नई पीढ़ी को मदद मिल रही है। सिर्फ आइपीएल ही नहीं, वे घरेलू क्रिकेट पर भी नजर रखते हैं। वीरेंद्र सहवाग हों या युवराज सिंह, उन्होंने अपनी क्रिकेट का ब्रांड नहीं बदला है, लेकिन उन्होंने अपने मौजूदा स्तर को ऊंचा किया है।