ज्योतिषाचार्यों की मानें तो साल के पहले सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं होगा और सूतक काल का भी पालन नहीं किया जाएगा। वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगने वाले ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों में पड़ेगा।
कानपुर, इस बार दस जून को पडऩे वाले वर्ष के पहले सूर्य ग्रहण कुछ अलग होगा। आमतौर पर सूर्य ग्रहण पर मंदिरों के पट बंद कर सूतक का पालन किया जाता रहा है परंतु इस बार ऐसा नहीं होगा। वहीं अमावस्या के दिन लगने वाले सूर्य ग्रहण पर शनि जयंती और वट सावित्री व्रत जैसे धार्मिक त्योहार भी हैं। इसके साथ ही सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा।
मंदिरों में नहीं होगा सूतक का पालन
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व नहीं होगा और न ही मंदिरों में सूतक का पालन किया जाएगा। भारत में इसका असर नहीं दिखने के चलते यह सिर्फ खगोलीय दृष्टि से खास रहेगा। पद्मेश इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक साइंसेस के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित केए दुबे पद्मेश ने बताया कि दस जून को पडऩे वाला सूर्य ग्रहण वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण होगा। इसका असर भारत में नहीं देखने को मिलेगा, इसलिए सूतक काल में मंदिरों में विधिवत पूजन अर्चन होगा।
खुले रहेंगे मंदिरों के पट और जारी रहेगा पूजन
उन्होंने बताया कि इसी दिन शनि अमावस्या और वट सावित्री का विशेष दिन भी पड़ रहा है। शनि की दशा से मुक्ति पाने के लिए भक्त मंदिरों में जाकर शनि देव का पूजन अर्चन विधि – विधान से करेंगे। कई राशियों के जातकों को इसका लाभ विशेष रूप से मिलेगा। सूर्य ग्रहण का असर वट सावित्री पूजन पर नहीं पड़ेगा। सुहागिन महिलाएं विधि-विधान से पति की दीर्घायु के लिए व्रत का पारण करेंगी और विधि-विधान से पूजन अर्चन करेंगी।
भारत में आंशिक ही नजर आने की संभावना
10 जून को अमावस्या के दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लग रहा है। इसलिए इस ग्रहण का प्रभाव विभिन्न राशियों पर भी होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई न देने की वजह से सूतक काल मान्य नहीं होगा। हालांकि भारत के कुछ हिस्सों में आंशिक तौर पर ग्रहण दिखाई देने की संभावना है। वहीं ग्रीनलैंड, रूस और कनाडा में सूर्य ग्रहण नजर आएगा। ग्रीनलैंड में रिंग ऑफ फायर का दृश्य नजर आने की उम्मीद है। यह ग्रहण 8:12 बजे शुरू होगा और दोपहर 13:11 बजे समाप्त हो जाएगा।