कर्क और वृश्चिक पर शनि की ढैय्या का प्रभाव है या जिन व्यक्तियों की कुडंली में शनि अशुभ स्थिति में हो या पीड़ित हो तो उन्हें शनि को प्रसन्न करने के लिये पीपल के वृक्ष की पूजा पीपल के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाना चाहिए।
लखनऊ, ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार शनि जयन्ती 30 मई को है। इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था इस वर्ष शनि जयंती विशेष है क्यूंकि 30 वर्ष बाद शनि जयंती पर शनि अपनी राशि कुंभ में है और इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। इस साल यह सोमवार को पड़ रही है, इसलिए यह सोमवती अमावस्या होगी। इसी कारण करके इस दिन शनि देव और भगवान शिव के पूजन का विशेष महत्व रहेगा।
इस दिन व्रत रखकर सायंकाल में शनि पूजन और शनि की वस्तुओं के दान और शनि के मंत्र के जाप से शनि प्रसन्न होते है। शनि सौर मण्डल में पृथ्वी से सबसे दूर और धीमी गति का ग्रह है। शनि पश्चिम दिशा का स्वामी और इसे ज्योतिष में न्यायधीश और सूर्य पुत्र कहा गया है। शनि प्रत्येक प्राणी को उसके कर्माे के अनुसार दण्ड देते हैं। वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती मकर, कुंभ व् मीन राशि पर चल रही है।
दीन-दुःखियों, गरीबों और मजदूरों की सेवा और सहायता, काली गाय, काला कुत्ता, कौवे की सेवा करने से, सरसों का तेल, कच्चा कोयला, लोहे के बर्तन, काला वस्त्र, काला छाता, काले तिल, काली उड़द आदि के दान करने से शनि शुभफल देते है। भगवान शिव और हनुमान जी की उपासना से भी शनि कष्ट नहीं देते हैं। पीपल और शमी वृक्ष की पूजा, सात मुखी रुद्राक्ष पहनने से शनि दोष कम होता है।
वट सावित्री व्रत 30 मई : वट सावित्री व्रत 30 मई को है। यह व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को रखा जाता है। इसमें महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसको बरगदाही व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत अखण्ड सौभाग्य के लिये रखा जाता है। सावित्री द्वारा अपने पति को पुनः जीवित करने की स्मृति के रूप में यह व्रत रखा जाता है।
वट वृक्ष को देव वृक्ष माना जाता है। इसकी जड़ों में ब्रह्नााजी, तने में विष्णु जी का और डालियों और पत्तियों मेें भगवान शिव का वास माना जाता है। वट वृक्ष की पूजा से दीर्घायु, अखण्ड सौभाग्य और उन्नति की प्राप्ति होती है। अमावस्या तिथि 29 मई को दिन में दोपहर 2:54 बजे से प्रारम्भ हो कर 30 मई को सांयकाल 4:59 बजे तक है ।