मोक्षदायिनी माने जाने वाली गंगा नदी के साथ ही यमुना अन्य नदियों या फिर उनके तट पर रोज सैकड़ों शव मिल रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से मृत लोगों के परिवार के लोग या तो इनके शवों को बहा दे रहे हैं ।
लखनऊ, कोरोना वायरस के संक्रमण काल में लोगों के साथ ही अब देश तथा प्रदेश की जीवनदायिनी माने जाने वाली गंगा नदी पर भी बड़ा संकट गहरा रहा है। मोक्षदायिनी माने जाने वाली गंगा नदी के साथ ही यमुना, गोमती तथा अन्य नदियों या फिर उनके तट पर रोज सैकड़ों शव मिल रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से मृत लोगों के परिवार के लोग या तो इनके शवों को बहा दे रहे हैं या फिर आधे जले शवों को नदी के पास छोड़कर इतिश्री कर ले रहे हैं।
इसके बाद की सारी कसर सरकारी नुमाइंदे, घाट पर रहने वाले लोग या फिर जानवर कर दे रहे हैं। प्रदेश में बीते एक हफ्ते से यह सिलसिला अनवरत चल रहा है। हमीरपुर तथा महोबा में यमुना नदी हो या फिर बदायूं से लेकर बलिया तक गंगा नदी में शव लगातार मिलते ही जा रहे हैं। नदी के अलावा लोग नहरों में भी शवों को फेंकने में संकोच नहीं कर रहे हैं। इनको शायद अंदेशा नहीं है कि उन्होंने जो काम बला समझ के किया है, वह उनके ही सिर पर पड़ेगा।
कानपुर तथा उन्नाव में घाट पर जगह न मिलते देख लोग गंगा नदी के किनारे ही शवों दो ठिकाने लगा दे रहे हैं। तेज हवा चलने के बाद तो दफन सारे शव ऊपर आने लगे हैं। दफन करने के साथ ही बड़ी संख्या में लोग शवों को सीधा बहा दे रहे हैं। इनमें भी 90 प्रतिशत से अधिक शव कोरोना वायरस संक्रमण से मृत लोगों के हैं। उन्नाव के बाद लोग कानपुर में भी शव दफन कर रहे हैं। खेरेश्वर घाट पर लोग कोरोना संक्रमण से मृत लोगों के शवों को दफन कर रहे हैं। सरकार के अंत्येष्टि के लिए पांच हजार रुपया प्रति शव देने की घोषणा सिर्फ कागजों पर ही है। कानपुर के साथ उन्नाव में गंगा नदी की रेती में शव मिल रहे हैं। उन्नाव तथा कानपुर के ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत के बाद स्वजन बड़ी लापरवाही कर रहे हैं।
वाराणसी और पास के जिलों बलिया, गाजीपुर और चंदौली में भी शवों का नदी में प्रवाहित करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। सरकार की तरफ से बलिया तथा गाजीपुर में शवों को प्रवाहित करने पर रोक के बाद भी लोग मान नहीं रहे हैं। वाराणसी में आज चार शव मिले हैं। गंगा नदी के अलग-अलग हिस्सों में गुरुवार को चार शव उतराते मिले हैं।
उधर गाजीपुर में भी गंगा व गोमती नदी में बड़ी संख्या में शव मिलने के बाद डीएम ने कहा कि अब नदियों में शवों के जल विसर्जन पर कड़ी कार्रवाई होगी। इस बीच बिहार बॉर्डर पर बक्सर पुलिस ने गंगा नदी में जाल लगाया है, जिससे कि बलिया से आने वाले शव को रोका जा सके। वाराणसी में नाविकोंके साथ प्रात: व सांयकाल गंगा नदी के तट पर आने वाले लोग शवों के दुर्गंध से परेशान है। उनका कहना है पहले गंगा नदी में शव प्रवाहित नहीं कि, जाते थे। नाविकों का दावा है कि गंगा उस पार से कोरोना संक्रमित शवों को जल प्रवाहित किया जा रहा है। गाजीपुर के डीएम ने कहा शवों के अंतिम संस्कार में निर्धन व असहायों की आॢथक मदद होगी। शवों का जल विसर्जन अब नहीं होगा। हर नदी के किनारों पर पुलिस की पैनी नजर है और निगरानी की जा रही है। सभी श्मशान घाटों पर पुलिस टीम ने मुनादी की है।
शव की अंत्येष्टि भी समाज सेवा: नदियों में शव कहां से बहकर आ रहे हैं, इस प्रश्न पर हर जिम्मेदार पल्ला झाड़ ले रहा है। शव आसमान से तो टपक नहीं रहे हैं। इससे पहले तो ऐसा होता भी नहीं था, फिर अचानक से भीषण गर्मी में बड़ी संख्या में शवों का मोक्षदायिनी में बहना इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला है। शब्द भी नहीं हैं कि गंगा नदी में और किनारे किनारे मिले अब तक हजारों शवों की दुर्दशा को क्या कहे। इन सभी का विधिवत अंतिम संस्कार तो किया ही जाना चाहिए। सदियों से गंगा बह रही है, लेकिन आज तक गंगा के किनारे बसे गांव वालों ने इस तरह इंसानियत को तार-तार करने वाला मंजर कभी नहीं देखा होगा। जिंदा के साथ ही किसी भी मृत को सम्मान देना भी समाज सेवा का ही हिस्सा है।
कोरोना काल में बड़ा होता गया शमशान घाट का दायरा: कोरोना वायरस से संक्रमण में बड़ी संख्या में मौत के मामलों से श्मशान घाट का दायरा बड़ा होता जा रहा है, लेकिन इतना बड़ा हो जाएगा इसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी। बीती रात बारिश के बाद गंगा नदी का हल्का सा जल बढ़ा कि उन्नाव व कानपुर में शमशान घाट का बड़ा दायरा बेहद छोटा हो गया। गंगा का जलस्तर क्या बढ़ा, कई शव बाहर आ गए। इन सभी को स्वजन रेत में दबाकर चले गए थे। इसके बाद तो वहां का दृश्य बेहद ही वीभत्स हो गया था। कुत्तों का झुंड उनपर टूट पड़ा और थोड़ी ही देर बाद वहां शव के टुकड़ों का अंबार और क्षत-विक्षत मानव अंग पड़े थे।
कम पडऩे लगी लकडिय़ां : कोरोना संक्रमण के कारण इतनी बड़ी संख्या में मौत हुई, जिसके लिए कोई भी तैयार नहीं था। महानगरों में तो संक्रमितों की अंत्येष्टि विद्युत शवदाह गृह में की जा रही थी, लेकिन इतनी लम्बी लाइनें देखकर स्वजन भयभीत होने लगे और शार्टकट ढूंढा गया, जो आजकल नदी के तट पर या फिर नदियों में दिख रहा है। अंत्येष्टि के लिए लड़कियां कम पडऩे लगीं और इसी में पैदा हो गए आपदा के असुर। जिन्होंने सैकड़ों का काम हजारों रुपया लेकर किया। सभी लोग सक्षम नहीं थे और उन लोगों को नदी का सहारा मिला।
बिहार ने उत्तर प्रदेश सरकार से बात की : बिहार के बक्सर में गंगा नदी में उतराते बड़ी संख्या में शवों के मामले में बिहार सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से बात की थी। बिहार सरकार का आरोप है कि उत्तर प्रदेश के बलिया तथा गाजीपुर के शव बहकर आ रहे हैं। अब जो भी कार्रवाई करनी है वो उत्तर प्रदेश की सरकार को करनी है, हमें उम्मीद है प्रदेश सरकार बहुत जल्द इस मामले में ठोस कार्रवाई करेगी।
औरैया में यमुना नदी में बहते मिले अधजले शव : यमुना नदी में पहले तो हमीरपुर और अब औरैया जिले में बड़ी संख्या में अधजले शव बहते मिले हैं। गांवों में कोरोना वायरस संक्रमण या फिर अन्य बुखार के कारण मौत के बाद लोग नदी के तट पर काफी जल्दबाजी में शवों की अंत्येष्टि करने के प्रयास में रहते हैं। जिसके कारण बड़ी संख्या में शव अधजले ही रह जाते हैं। लोग अंत्येष्टि की प्रक्रिया पूरी होने से पहले चले जाते हैं। यह सभी लोग संक्रमण के डर से चले जाते हैं तो बाद में आने वाले लोग अधजले शव को नदी में बहा देते हैं। इतना ही नहीं कई जगह पर तो शवों को सीधा नदी में ही प्रवाहित कर दिया जा रहा है। इसके बाद कई घाटों पर नदी के तेज बहाव के कारण शव नदी के किनारे आ रहे हैं। औरैया के शेरगढ़ शमशान घाट पर यमुना नदी के किनारे आने वाले शवों को कुत्ते भी नोंचते दिखते हैं।
बरेली में रामगंगा में मिले दो शव: बरेली में रामगंगा नदी में भी सुबह फतेहगंज पूर्वी में रामगंगा में दो शव दिखे। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने पानी से बाहर निकाला। आशंका जताई गई कि कोरोना पीडि़तों के शव हो सकते हैं, जो किसी ने सीधा नदी में बहा दिया है। डीएम नीतीश कुमार के निर्देश पर कोविड गाइडलाइन के अनुसार शवों को दफनाया गया। पुलिस रामगंगा घाट पर दुकानदार, नाविकों से पूछताछ कर रही कि किसी अस्पताल की एम्बुलेंस तो देर रात नहीं आईं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने लिया संज्ञान: उत्तर प्रदेश में नदियों में बहाए जा रहे शवों के मामले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लेने के साथ कोरोना वायरस संक्रमण से होने वाली मौत पर दु:ख जताया। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना काल में नदियों से मिल रहे शवों के मामले में कहा कि अंत्येष्टि की क्रिया मृतक की धाॢमक मान्यताओं के अनुरूप सम्मान के साथ की जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी मृतक की अंत्येष्टि के लिए जल प्रवाह की प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। सभी की अंत्येष्टि क्रिया को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से आवश्यक वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री बोले- डीएम शीघ्र पता लगाएं कहां से आए शव: प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि गंगा नदी में मिले शवों के बारे में संबंधित जिलों के डीएम को पता लगाने को कहा गया है। सरकार ने जिला कलेक्टरों को मामले की जांच करने और यह पता लगाने का आदेश दिया है कि वे कहां से आए थे। क्या यह शव कोरोना वायरस के संक्रमण से मृत लोगों के थे। गंगा नदी के तट पर बसे जिलों में कई शव नदी में मिले थे।