उत्तर भारत का पहला मॉडल (आदर्श) एड्स परामर्श एवं जांच केंद्र (पीपीटीसीटी) बिहार के पूर्णिया में बनकर तैयार हो गया है। जल्द ही इस केंद्र का औपचारिक उद्घाटन किए जाने की उम्मीद है। इस केंद्र से पूर्णिया एवं आसपास के जिलों के एड्स पीड़ितों की जांच एवं इलाज की सुविधा हासिल होगी। इस केंद्र की सफलता के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा अन्य जिलों में भी मॉडल एड्स जांच केंद्र बनाए जाएंगे।
स्वास्थ्य विभाग के तहत संचालित बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के सहयोग से यूनिसेफ, बिहार द्वारा उत्तर भारत के पहले एड्स मरीजों के लिए मॉडल परामर्श एवं जांच केंद्र बनाया गया है। इस जांच केंद्र को पूर्णिया के बनमनखी स्थित अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में बनाया गया है। इस केंद्र को माता-पिता से शिशु में होने वाले एचआईवी संक्रमण की रोकथाम हेतु आदर्श परामर्श एवं जांच केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इसके मॉडल परामर्श एवं जांच केंद्र बनाने के लिए करीब दस लाख रुपये खर्च किए गए हैं।
केंद्र में कर्मियों की हुई तैनाती
बिहार एड्स नियंत्रण समिति के संयुक्त निदेशक मनोज सिन्हा ने बताया कि मॉडल परामर्श एवं जांच केंद्र में एक डॉक्टर, दो एएनएम, एक काउंसलर एवं एक लैब टेक्नीशियन की तैनाती की गयी है। इस केंद्र में शिशुवती महिलाओं के उपयोग के लिए कंगारु मदर चेयर, टीवी, शुद्धजल, शौचालय, वेटिंग चेयर इत्यादि की व्यवस्था की गई है। गर्भवती महिलाओं के लिए समीप के कमरे में मॉडल लेबर रूम और मॉडल टीकाकरण केंद्र भी अवस्थित है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने माता-पिता से शिशु में होने वाले एचआईवी संक्रमण को शून्य करने को लेकर मॉडल केंद्र बनाने का निर्देश दिया है। इसी के तहत इस केंद्र का निर्माण किया गया है।
वर्तमान में 44 परामर्श एवं जांच केंद्र हैं संचालित
राज्य में वर्तमान में 44 परामर्श एवं जांच केंद्र संचालित हैं। इन केंद्रों पर भी गर्भवती महिलाओं में एचआईवी संक्रमण की जांच की सुविधा उपलब्ध है। ये सभी केंद्र जिला, अनुमंडलीय, मेडिकल कॉलेज इत्यादि में संचालित किए जा रहे हैं।
‘केंद्र सरकार के निर्देश के अनुसार 95 फीसदी गर्भवती महिलाओं का निबंधन, सभी निबंधित गर्भवती महिलाओं की जांच करने और जो गर्भवती महिलाएं जांच में संक्रमित पायी जाती है, उन्हें एड्स की दवा देनी शुरू की जानी है। इसी के तहत बनमनखी में मॉडल जांच केंद्र बनाए गए है। साथ ही, सामान्य संक्रमितों की भी पहचान होगी।’ – डॉ. सैयद हूबे अली, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, यूनिसेफ, बिहार ।