गुरुवार को वन अधिकारियों ने क्षेत्र में ग्रामीणों को जागरुकता के पर्चे बांटकर सतर्क रहने को कहा। एक ओर वन अधिकारी क्षेत्र में भ्रमण कर तेंदुआ तलाश रहे हैं। तो दूसरी ओर लोगों का कहना है कि टीमें गांव के आसपास भ्रमण नहीं कर रहीं हैं जिससे उनमें दहशत है।
उन्नाव, थानाक्षेत्र के गांव सकरौली के मजरा बंगलाखेड़ा में मंगलवार को एक तेंदुआ आने और उसके द्वारा छह लोगों पर हमला करने के बाद से तैनात वन विभाग की टीमें अब तक उसे पकड़ नहीं सकी हैं। अब वन अधिकारियों ने उसे पकड़ने को जाल-पिंजरा लाने के साथ ही हाथियों का भी सहारा लेने की तैयारी की है। वहीं तेंदुआ को चारे के रूप में पिंजरे में एक मेमना बांधकर भी पकड़े जाने की कोशिश की जा रही है।
फतेहपुर चौरासी थानाक्षेत्र के गांव सकरौली के मजरा बंगलाखेड़ा के पास मंगलवार शाम पिपरमिंट के खेत से निकलकर एक तेंदुए ने वहां मौजूद लोगों पर हमला कर दिया था। उसके हमले से छह लोग गंभीर घायल हुए थे। इसके बाद से वहां वन विभाग की टीमें तैनात हैं और लगातार कांबिंग भी कर रही हैं। लेकिन अभी तक उसका कहीं पता नहीं चल सका है। इसी क्रम में गुरुवार को वन विभाग की चार टीमों ने दर्जन भर गांव में लोगो को जागरूक किया और पर्चे भी बांटे। जहां टीमों द्वारा तेंदुए की तलाश को लेकर कांबिंग की जा रही है। वन अधिकारियों ने वहां की झाड़ियों में तेंदुआ होने की पुष्टि की थी। घायलों में 12 वर्षीय बृजेश को गंभीर हालत में कानपुर के एलएलआर अस्पताल भेजा गया था। जहां उसकी हालत अब सामान्य है। तेंदुआ की खबर से आसपास के गावों में दहशत का माहौल है।
वन अधिकारियों ने चलाया जागरुकता अभियान: गुरुवार को वन अधिकारियों ने क्षेत्र में ग्रामीणों को जागरुकता के पर्चे बांटकर सतर्क रहने को कहा। एक ओर वन अधिकारी क्षेत्र में भ्रमण कर तेंदुआ तलाश रहे हैं। तो दूसरी ओर लोगों का कहना है कि टीमें गांव के आसपास भ्रमण नहीं कर रहीं हैं जिससे उनमें दहशत है। उनकी रातें डर से जागकर बीत रही हैं।
गांव के पास भी मिले तेंदुए के पंजों के निशान: वन दारोगा पप्पू यादव ने बताया कि तेंदुए की तलाश काफी दूर तक की गई लेकिन वह मिला नहीं है। उसके पैर के निशान गंगा की ओर व पास के गांव में देखने को मिले हैं। कहा कि गुरुवार से चार टीमें बंगलाखेड़ा में ही रात में रुकेंगी। अभी तक टीमें बांगरमऊ वापस चली जाती थीं।
बोले ग्रामीण, गांव में ही है तेंदुआ: ग्रामीणों का कहना है कि तेंदुआ गांव के बाहर गया तो था लेकिन अब वह फिर से गांव के जंगलों में लौट आया है। टीमें दिन में खानापूर्ति करती हैं और रात में लौट जाती हैं। कहा कि खुद के साथ जानवरों को भी बचाना बेहद मुश्किल हो रहा है। अगर टीमें सतर्कता दिखाएं तो तेंदुआ पकड़ा जा सकता है।
हाथी पर सवार होकर की जा सकती है कांबिंग: वन अधिकारियों का मानना है कि अगर तेंदुआ आसपास है और टीम के हाथ नहीं लग रहा तो अब उसकी कांबिंग को हाथियों का सहारा लेना पड़ सकता है। जिससे उसे झाड़ियों में जाकर भी देखा जा सके। कहा कि हाथी की गंध से तेंदुआ बाहर जरूर निकलेगा।