कामी रीता शेरपा दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर 25 बार चढ़ाई कर एक विश्व कीर्तिमान बना चुके हैं। लेकिन अब उन्होंने एक सपने की वजह से अपने पांव पीछे खींच लिए हैं। उनका कहना है कि देवी मां ऐसा ही चाहती हैं।
काठमांडू (रॉयटर्स)। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर 25 बार चढ़ाई कर चुके 51 वर्षीय कामी रीता शेरपा अब आगे इस चोटी पर जा पाएंगे या नहीं इसको लेकर वो कुछ आशंकित है। ऐसा वो एक सपने की वजह से कह रहे हैं। दरअसल, उनका कहना है कि जब वो 26वीं बार अपने क्लाइंट के साथ पश्चिम क्वाम घाटी में इस चोटी पर जाने की तैयारी कर रहे थे तब उन्हें एक सपना आया, जिससे वो परेशान हो गए। इस सपने में क्या हुआ उसके बारे में वो कुछ नहीं बताते। वो बस इतना ही बताते हैं कि उन्हें लगता है कि देवी नहीं चाहती हैं कि वो इस बार इस चोटी पर जाएं। उन्होंने मीडिया को बताया कि उन्हें लगता है कि देवी उनसे एवरेस्ट पर दोबारा जाने से मना कर रही हैं और कह रही हैं कि अब बस, बहुत हो गया है। इसलिए वो रास्ते से ही वापस आ गए और आगे नहीं गए।
आपको बता दें कि कामी रीता शेरपा एवरेस्ट पर जाने का अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर एक नया विश्व रिकॉर्ड बना चुके हैं। जब उन्होंने 25वीं एवरेस्ट की चढ़ाई की थी तब उनके साथ 11 और शेरपा भी थे जिनका काम रस्सियों को ठीक करना था। अपनी अगली एवरेस्ट की चढ़ाई को लेकर अब वो पहले की तरह आश्वस्त नहीं हैं। बस वो यही कह रहे हैं कि शायद देवी मां की यही इच्छा है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि सब कुछ ठीक रहा तो वो अगले साल एवरेस्ट की चढ़ाई करेंगे। गौरतलब है कि 1953 में पहली बार न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी ने तेनजिंग शेरपा के साथ इस चोटी को फतह किया था।
यहां पर आपको ये बताना जरूरी है कि शेरपा एवरेस्ट को किसी देवी की तरह पूजते हैं। चढ़ाई शुरू करने से पहले वो एक पूजा करते हैं, जिसमें वो देवी से पहाड़ी पर कदम रखने के लिए माफी मांगते हैं। दुनिया की इस सबसे बड़ी चोटी को फतह करने के लिए दुनियाभर से पर्वतारोही पाल का रुख करते हैं। यहां पर आने वाले पर्वतारोही नेपाल की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया भी हैं। इन पर्वतारोहियों को एवरेस्ट पर जाने के लिए कई तरह की चीजों की जरूरत होती है।
इसके लिए उन्हें कई सारे आदमी चाहिए होते हैं। इसी जगह शेरपा काम आते हैं। शेरपाओं को इस गगनचुंबी चोटी पर चढ़ने के काबिल माना जाता है। गठीला शरीर इस काम में उनकी मदद करता है। ये जरूरी सामान को एवरेस्ट की चोटी तक लेकर जाते हैं। हालांकि ये ऐसे जवान होते हैं जिनका जिक्र नहीं किया जाता है और जो कतार में पीछे होते हैं। लेकिन सच्चाई ये भी है कि इनके बिना एवरेस्ट को फतह करपाना दूर की कौड़ी है।
शेरपा यहां पर होने वाले ट्रेकिंग कैंपों में भी बतौर गाइड शामिल होते हैं। पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैलने के बाद से यहां पर एवरेस्ट की चढ़ाई बंद रही थी। लेकिन इस बार काफी संख्या में पर्वतारोही इसको फतह करने के लिए यहां पर पहुंच रहे हैं। बीते दो माह में ही सैकड़ों की संख्या में पर्वतारोही इसकी चढ़ाई शुरू कर चुके हैं। आपको जानकर हैरत हो सकती है कि किसी भी समय यहां के बेस कैंप में एक हजार से अधिक पर्वतारोही जिसमें शेरपा भी शामिल होते हैं मौजूद रहते हैं। इसकी चढ़ाई के लिए पर्वतारोही को करीब आठ लाख रुपये चुकाने होते हैं। इसके अलावा इस अभियान पर करीब 30 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं।