SpiceJet और बैंगलोर हवाई अड्डे ऐसी जमात में शामिल हो गए हैं जो एयर पॉल्यूशन को कम करने की दिशा में काम कर रही है। इसका उद्देश्य 2030 तक एविएशन इंडस्ट्री में ऐसे फ्यूल का इस्तेमाल करना है जो पारंपरिक स्रोत से बना हो।
नई दिल्ली, पीटीआइ। देश की बड़ी एयरलाइन कंपनी SpiceJet और बैंगलोर हवाई अड्डे ऐसी जमात में शामिल हो गए हैं, जो एयर पॉल्यूशन को कम करने की दिशा में काम कर रही है। इस जमात को World Economic Forum ने खड़ा किया है। इसका उद्देश्य 2030 तक एविएशन इंडस्ट्री में ऐसे तेल का इस्तेमाल करना है जो पारंपरिक (Renewable) स्रोत से बना है। यह पॉल्यूशन कम करने के साथ ज्यादा हवाई यात्रा को बढ़ावा देगा। इस ईंधन का नाम sustainable aviation fuel है। फोरम की मानें तो विश्व स्तर पर कम से कम 60 कंपनियों ने साल 2030 तक वैश्विक स्तर पर हवाई जहाजों में 10 फीसद तक SAF के इस्तेमाल की प्रतिबद्धता जाहिर की है।
इसमें कहा गया है कि, वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के इस गठबंधन का उद्देश्य आसमान को प्रदूषण से मुक्त करना है। इस मिशन का लक्ष्य स्थायी विमानन ईंधन (एसएएफ) के प्रयोग में तेजी लाना है। इसने साल 2030 तक 10 फीसद एसएएफ के साथ वैश्विक विमानन क्षेत्र के लिए मिलकर काम करके, साल 2050 तक नेट-जीरो एमिशन के रास्ते पर एक अहम सफलता को हासिल किया है। विमानन क्षेत्र में ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने के लिए, यह अभियान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। क्योंकि धीरे-धीरे हवाई यात्रा पूर्व-महामारी के स्तर पर लौटने लगी है।
2030 एम्बिशन स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने वाले 60 संगठनों में एक्सेंचर, एसीएमई, एयरबस, एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल, अमेरिकन एयरलाइंस, बैंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (बीआईएएल), बायोडीजल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीडीएआई), बोइंग, बीपी, ब्रिटिश एयरवेज, कैथे पैसिफिक एयरवेज और ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) शामिल हैं।
हस्ताक्षरकर्ता कंपनियों में गैर-विमानन कंपनियाँ भी शामिल हैं जो अपने व्यावसायिक कार्यों के लिए कॉर्पोरेट हवाई यात्रा पर निर्भर करती हैं। उनका यह मानना है कि, विमानन उद्योग को कार्बन मुक्त करने की जिम्मेदारी उन सभी लोगों की है जो विमानन क्षेत्र पर निर्भर करते हैं।