विज्ञानियों ने अध्ययनों की एक श्रृंखला में पाया है कि कोविड-19 के अन्य वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रोन इसलिए कम घातक है लेकिन यह फेफड़ों को कितना नुकसान पहुंचाता है। जानें इस बारे में वैज्ञानिकों की क्या राय है….
वाशिंगटन, विज्ञानियों ने अध्ययनों की एक श्रृंखला में पाया है कि कोविड-19 के अन्य वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रोन इसलिए कम घातक है, क्योंकि वह फेफड़ों को अधिक नुकसान नहीं पहुंचाता। अमेरिका व जापान के विज्ञानियों ने चूहों व उन्हीं की तरह दिखने वाले हैम्सटर्स पर एक अध्ययन में पाया कि कोरोना के दूसरे वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रोन से संक्रमितों के फेफड़ों को कम नुकसान होता है, वजन कम गिरता है और उनकी मौत की आशंका भी कम होती है।
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, अध्ययन में पाया गया कि दूसरे वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रोन से संक्रमित चूहों के फेफड़ों में वायरस की उपस्थिति दस गुना कम थी। यही नहीं, ओमिक्रोन फेफड़ों में बहुत ही धीमी गति से फैलता है। यूनिवर्सिटी आफ हांगकांग के शोधकर्ताओं द्वारा ओमिक्रोन संक्रमितों के ऊतक पर किया गया अध्ययन भी इस निष्कर्ष का समर्थन करता है।
दक्षिण अफ्रीका से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि कोविड के डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रोन से संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत 80 फीसद कम पड़ी। ब्रिटेन स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की तरफ से किए गए इसी प्रकार के एक अध्ययन में भी पाया गया कि ओमिक्रोन संक्रमितों की जान को खतरा 70 फीसद कम होता है। बर्लिन इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ के कंप्यूटेशनल बायोलाजिस्ट रोनाल्ड एलिस कहते हैं, ‘अध्ययन बताते हैं कि ओमिक्रोन वैरिएंट फेफड़ों को कम नुकसान पहुंचाता है।’
हालांकि डब्ल्यूएचओ की मानें तो कोरोना का ओमिक्रोन वैरिएंट डेल्टा के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैलता है। पिछले कई महीनों में डेल्टा वैरिएंट के कारण दुनियाभर में संक्रमण के मामले बढ़े हैं। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ने कहा था कि वे ओमिक्रोन और डेल्टा वैरिएंट के कारण कोविड संक्रमण की सुनामी आने की आशंका से चिंतित हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि शुरुआती आंकड़ों को पूरी तरह मान लेना अभी जल्दबाजी होगी।