संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने कहा जम्मू-कश्मीर मसले में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका सुरक्षा परिषद के संकल्पों के अनुसार तय होगी। इस मसले में 1972 में दोनों देशों के बीच हुआ शिमला समझौता बहुत महत्वपूर्ण है।
संयुक्त राष्ट्र, एजेंसियां। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने कश्मीर मसले पर भारत के रुख को मजबूती दी है। कहा है कि भारत और पाकिस्तान यह मसला बातचीत के जरिये निपटाएं। मसले को इस तरह से सुलझाने के लिए 1972 में दोनों देशों के बीच शिमला समझौता हो चुका है। इसलिए अब किसी तीसरे पक्ष की दखलंदाजी की जरूरत नहीं है।
बोजकिर ने यह बात कश्मीर मसले पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही। कहा, जम्मू-कश्मीर मसले में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका सुरक्षा परिषद के संकल्पों के अनुसार तय होगी। इस मसले में 1972 में दोनों देशों के बीच हुआ शिमला समझौता बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें साफ कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर मसला दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत से सुलझाया जाएगा। बोजकिर तुर्की के राजनयिक और राजनीतिक नेता हैं। वह 2020 से संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं।
शिमला समझौता 1972 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था। इसमें जम्मू-कश्मीर मसला दोनों देशों द्वारा बातचीत के जरिये सुलझाए जाने की बात कही गई है। समझौते में किसी तीसरे पक्ष की दखलंदाजी से दूर रहने की भी बात कही गई है। बोजकिर ने कहा, वह जम्मू-कश्मीर से जुड़े पक्षों का आह्वान करते हैं कि वे आगे आएं और बातचीत के जरिये मसले का शांतिपूर्ण हल निकालें।
कहा कि वह बातचीत के साथ होने वाली कूटनीति के पक्षधर हैं और उसका समर्थन करते हैं। इच्छुक हैं कि भारत और पाकिस्तान बातचीत के जरिये अपनी समस्या निपटाएं। जब पाकिस्तान जाऊंगा तो वहां भी इस तरह के किसी सवाल का यही जवाब दूंगा। बोजकिर ने बताया कि इस महीने के अंत में वह बांग्लादेश और पाकिस्तान की यात्रा करेंगे। लेकिन इससे पहले होने वाली भारत यात्रा वहां पर कोरोना संक्रमण की बुरी दशा के चलते स्थगित कर दी है।