काबुल में चीनी नागरिकों पर हमले के बाद डरा चीन, अफगानिस्तान में बड़ी परियोजनाओं को लाने की योजना को टाला

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में चीनी नागरिकों पर हमले के बाद चीन सदमे में है। उसने बड़ी परियोजनाओं को अफगानिस्तान में लाने की योजनाओं को टाल दिया है। चीन ने सहायता के नाम पर पिछले साल अफगानिस्तान को 31 मिलियन अमेरिकी डालर की सहायता प्रदान की थी।

 

बीजिंग,  अपने रिश्ते को पुनर्जीवित करने और अफगान तालिबान से लाभ निकालने की चीन की योजना फीकी पड़ती दिख रही है, खासकर ‘काबुल होटल’ के हालिया विस्फोट के बाद, जिसे चीनी पर्यटकों पर हमले के रूप में देखा जाता है। 12 दिसंबर को एक होटल पर बम और बंदूक से हुए हमले में पांच चीनी नागरिक घायल हो गए थे। आईएसआईएस आतंकी समूह की अफगान शाखा, जिसे आईएसआईएस-खुरासन के नाम से जाना जाता है, ने हमले की जिम्मेदारी ली है।

चीनी राजदूत ने तालिबान शासन के उप विदेश मंत्री से की मुलाकातगौर करने वाली बात यह है कि यह हमला अफगानिस्तान में चीनी राजदूत वांग यू द्वारा तालिबान शासन के उप विदेश मंत्री, शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई से मुलाकात के एक दिन बाद हुआ। इस मुलाकात के दौरान वांग यू ने समूह से काबुल में चीनी दूतावास की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने का अनुरोध किया था।

चीन ने आतंकी हमले की निंदा कीआतंकी हमले से चीन को ‘गहरा सदमा’ लगा है। उसने इसकी निंदा करते हुए आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध किया। हमले को देखते हुए अफगानिस्तान में चीनी दूतावास ने अफगान पक्ष से चीनी नागरिकों को खोजने और बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने को कहा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि दूतावास ने अफगान पक्ष से हमले की जांच करने, अपराधियों को न्याय दिलाने और अफगानिस्तान में चीनी नागरिकों और संस्थानों की सुरक्षा प्रभावी ढंग से मजबूत करने के लिए भी कहा।

चीन ने बड़ी परियोजनाओं को लाने की योजना पर लगाया विरामईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM), तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (TTP), अल कायदा और अन्य आतंकवादियों ने बीजिंग के विश्वास को हिलाकर रख दिया है। नतीजा यह हुआ कि चीन ने अफगानिस्तान में बड़ी परियोजनाओं को लाने की अपनी योजना पर विराम लगा दिया है। पिछले साल 15 अगस्त को जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया, तो चीन ने जमीन से घिरे देश को मैत्रीपूर्ण सहयोग प्रदान करने की इच्छा व्यक्त की।

 

तालिबान शासन के भरोसेमंद सहयोगी के रूप में उभरा चीन अल-अरेबिया पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी विदेश मंत्रालय भी अफगानिस्तान में रचनात्मक भूमिका निभाने का इरादा रखता है। वास्तव में चीन, पाकिस्तान, रूस और ईरान की तरह तालिबान शासन के भरोसेमंद सहयोगी के रूप में उभरा था।

अफगानिस्तान को दी 31 मिलियन अमेरिकी डालर की सहायताबीजिंग जमीन से घिरे देश (अफगानिस्तान) के साथ चतुराई और सावधानी से पेश आता है। अफगानिस्तान को सहायता के नाम पर पिछले साल बीजिंग द्वारा 31 मिलियन अमेरिकी डालर की सहायता प्रदान की गई, जिसमें खाद्य आपूर्ति और कोरोनावायरस के टीके शामिल थे। इस जून में, 6.1 तीव्रता के भूकंप के बाद भूमि से घिरे देश को 7.5 मिलियन अमेरिकी डालर की मानवीय सहायता की पेशकश की गई थी।

 

ठीक एक साल बाद चीनी नागरिकों पर हुए हमले के वजह से बीजिंग और तालिबान के बीच एक खाई चौड़ी हो रही है, क्योंकि ऐसा लगता है कि बीजिंग देश में भारी निवेश के अपने वादे को हकीकत में बदलने के लिए तैयार नहीं है।

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