सरकार ने ट्विटर का इंटरमीडियरी यानी मध्यस्थ का दर्जा खत्म कर दिया है। यह मेनस्ट्रीम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में ऐसा अकेला प्लेटफॉर्म है जिसने नए कानूनों का पालन नहीं किया है। पांच जून को सरकार ने नियमों का पालन के लिए अंतिम चेतावनी दी थी।
नई दिल्ली, केंद्र की चेतावनी के बावजूद इंटरनेट मीडिया के नए नियमों का पालन नहीं करने पर सरकार ने आईटी ऐक्ट के तहत प्राप्त सुरक्षा का अधिकार ट्विटर से वापस ले लिया है। यानी किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर ट्विटर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है। वहीं, सरकार की इस कर्रवाई के बाद ट्विटर के तेवर नरम पड़ गए हैं। ट्विटर ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह नए नियमों को मानने के लिए तैयार है। पांच जून को सरकार ने नियमों का पालन के लिए दी थी अंतिम चेतावनी
ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा है कि हम प्रक्रिया के हर चरण की प्रगति से सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को अवगत करा रहे हैं। अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी को बरकरार रखा गया है और विवरण जल्द ही सीधे मंत्रालय के साथ साझा किया जाएगा। ट्विटर नए दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
बता दें कि ट्विटर मेनस्ट्रीम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में ऐसा अकेला प्लेटफॉर्म है जिसने नए कानूनों का पालन नहीं किया है। नए आईटी नियमों का पालन नहीं करने की वजह से ट्विटर ने भारत में इंटरमीडरी प्लेटफॉर्म का दर्जा खो दिया है। इसका मतलब की अब यूजर की गैर-कानूनी और भड़काऊ पोस्ट के लिए ट्विटर को जिम्मेदार माना जाएगा। अगर कथित गैरकानूनी सामग्री के लिए ट्विटर के खिलाफ कोई आरोप है तो इसे एक प्रकाशक के रूप में माना जाएगा, इंटरमीडरी नहीं और आईटी अधिनियम, साथ ही देश के दंड कानूनों सहित किसी भी कानून के तहत दंड के लिए उत्तरदायी होगा।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 5 जून को कहा था कि उसने सोशल मीडिया कंपनियों से संबंधित नए नियमों का पालन करने के लिए ट्विटर को एक आखिरी नोटिस दिया है। मंत्रालय ने पत्र में कहा कि नए मध्यस्थ दिशानिर्देश नियम 26 मई से प्रभावी हो गए हैं, लेकिन एक सप्ताह से अधिक समय होने के बाद भी लेकिन ट्विटर ने इन नियमों के प्रावधानों का पालन करने से इनकार कर दिया है।