केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग में टीबी के दवाओं की कमी से मरीज परेशान हैं। मल्टीड्रग रेजिस्टेंट टेबलेट न होने के कारण मरीज बिना दवा लिए लौट रहे हैं। खास बात यह है कि डेलामेनेंट दवा की बाजार में बिक्री पर रोक है।
लखनऊ, । केस एक- केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग में 35 वर्षीय मरीज बीते छह दिनों से वार्ड में भर्ती हैं। यहां पर उनकी कई जांच की गई हैं और उसके बाद दवाई लिखी गई हैं। दवाओं में डेलामेनेंट समेत तीन दवाएं अस्पताल में नहीं मिली। दो जरूरी दवाओं को बाहर से खरीदने को कहा गया।
केस दो- एमडीआर वार्ड में भर्ती 26 वर्षीय युवक को ठाकुरगंज टीबी अस्पताल से बड़ी टीबी कहकर केजीएमयू रेफर किया गया था। पांच दिन से केजीएमयू में भर्ती रहने के बाद सिर्फ जांच की गई। युवक का कहना है कि एक दवा दी गई है और अब दोबारा ठाकुरगंज अस्पताल से ही दवा लेकर इलाज करवाने के लिए कह दिया गया है। डिस्चार्ज ले रहे हैं।
अधिकारी झाड़ रहे पल्ला किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) को क्षय रोग के निदान के लिये सेंटर आफ एक्सीलेंस घोषित किया गया है। इसके बावजूद बीते दो हफ्ते से मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ट्यूबरक्लोसिस कि कई जरूरी दवाएं यहां पर उपलब्ध नहीं है। अधिकारी ड्रग स्टोर से दवाई लाने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
संवाददाता के सवाल पूछे जाने के बाद केजीएमयू के अधिकारियों ने डिस्ट्रिक्ट ड्रग स्टोर से दवाएं लाने की प्रक्रिया में तेजी दिखानी शुरू की। टीबी के उत्तर प्रदेश स्टेट टास्क फोर्स के अध्यक्ष डा. सूर्यकांत ने बताया कि केजीएमयू में बीते कई दिनों से दवाओं की कमी थी। उन दवाओं की जगह पर वैकल्पिक दवाएं मरीजों को मुहैया करवाई जा रही हैं। दवाओं को डिस्ट्रिक्ट ड्रग स्टोर से लाने के लिए निर्देशित किया गया है।