हाई ब्लडप्रेशर या डायबिटीज के मरीजों पर कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा है। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि इन दोनों बीमारी वाले लोगों में कोरोना संक्रमित होने के बाद ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
लंदन, एजेंसी। कोराना संक्रमण की शुरुआत के साथ ही ऐसा कहा जाने लगा था कि अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह अधिक खतरनाक है। अब यह एक नए अध्ययन में भी सामने आया है। कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा खतरा ऐसे लोगों में बना हुआ है, जो उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) या मधुमेह (डायबिटीज) के मरीज हैं। अध्ययन में कहा गया है कि इन दोनों बीमारी वाले लोगों में कोरोना संक्रमित होने के बाद ब्रेन स्ट्रोक का भी खतरा सबसे ज्यादा रहता है। यह अध्ययन ब्रिटेन के साउथहैंपटन यूनिवर्सिटी के एक दल ने किया है। अध्ययन में यह भी देखने को मिला कि ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा उम्र वालों के साथ ही कोरोना संक्रमित युवाओं में भी बना रहता है।
कोरोना संक्रमित 267 लोगों पर हुआ अध्ययन
अध्ययन का परिणाम जर्नल ब्रेन कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में 267 ऐसे लोग शामिल किए गए, जो कोरोना संक्रमित हुए। संक्रमित होने के बाद इनके मस्तिष्क संबंधी रोगों का अध्ययन किया गया। अध्ययन में आधे मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक होने के खतरे देखे गए। इनमें से साठ साल की उम्र वाले मरीजों में से चौथाई को ब्रेन स्ट्रोक हुआ। इस उम्र वर्ग में अधिकांश कोरोना मरीज स्ट्रोक के खतरे वाले स्तर पर थे। दस फीसद से ज्यादा मरीजों की हालत गंभीर हुई और उनको इंटेसिव केयर यूनिट और वेंटीलेटर की आवश्यकता पड़ी।
एक से अधिक हिस्सों को प्रभावित कर सकता है कोरोना संक्रमण
अध्ययन दल के डा. एमी रोश रशेल ने बताया कि कोरोना संक्रमण नर्वस सिस्टम के एक से ज्यादा हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। मरीज की खून की धमनियों में रुकावट हो सकती है। शरीर के किसी भी हिस्से में खून का थक्का बनने की भी दिक्कत आ सकती है। अध्ययन दल ने सुझाव दिया है कि कोरोना महामारी के दौरान अपने ब्लडप्रेशर और डायबिटीज को नियंत्रित रखें। यह भी ध्यान रखें कि ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बुजुर्ग ही नहीं युवाओं में भी बना रहता है।