वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समीक्षा के दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही कोरोना मैनेजमेंट की टीम-11 के सभी सदस्य जुड़े थे। दर्जनों ब्यूरोक्रेट्स भी इस दौरान समीक्षा बैठक के निर्देश को सुन रहे थे।
लखनऊ, कोरोना वायरस की दूसरी लहर से संक्रमित होने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रदेश के लोगों के जीवन तथा उनकी जीविका की चिंता है। पॉजिटिव होने के बाद भी गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के हालात और व्यवस्था की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समीक्षा की। इसके बाद उत्तर प्रदेश लौट रहे प्रवासियों के लिए नया कोविड प्रोटोकॉल जारी किया गया है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समीक्षा के दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के साथ ही कोरोना मैनेजमेंट की टीम-11 के सभी सदस्य जुड़े थे। दर्जनों ब्यूरोक्रेट्स भी इस दौरान समीक्षा बैठक के निर्देश को सुन रहे थे।
प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश लौट रहे प्रवासी कामगारों के लिए प्रोटोकॉल जारी किया है। इनकी अब हर जिले में होगी स्क्रीनिंग होगी। किसी में अगर कोरोना वायरस संक्रमण का लक्षण भी नहीं मिलता है, तब भी उसको कम से कम सात दिन दिन होम क्वारैंटाइन में रहना होगा।
कोरोनावायरस संक्रमण के खतरे के बीच उत्तर प्रदेश लौट रहे प्रवासी कामगारों के लिए योगी सरकार ने प्रोटोकॉल जारी किया है। इसके तहत सभी जिलों में क्वारंटीन सेंटर बनेंगे। महाराष्ट्र, दिल्ली समेत दूसरे राज्यों से पलायन कर प्रदेश लौट रहे प्रवासियों का जिले में स्क्रीनिंग कराना जरूरी होगा। इसके बाद इनको सात दिन का होम क्वारंटाइन जरूरी कर दिया गया है। कोई लक्षण नहीं होने के बावजूद भी सात दिन खुद को आइसोलेशन में रहना होगा। अगर लक्षण हैं तो 14 दिन क्वारंटाइन रहना होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद जिलाधिकारियों इससे अवगत करा दिया गया है। अब सभी जनपदों में प्रवासी मजदूरों की आरटीपीसीआर जांच के साथ चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए विशेष रणनीति के तहत युद्धस्तर पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश के हर जिले में क्वारंटाइन सेंटर के साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम इन प्रवासी मजदूरों की आरटीपीसीआर जांच करेगी। जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव होगी, उन मजदूरों के भोजन, क्वारंटाइन और दवाओं की व्यवस्था सरकार करेगी। इसके साथ ही आइसोलेशन सेंटर में 14 दिन निगरानी के बाद इन प्रवासी मजदूरों को परिवहन निगम की बसों से उनके गृह जनपद पहुंचाया जाएगा।
प्रवासी कामगारों के वापसी पर प्रबंधन प्रोटोकॉल: जिला प्रशासन स्क्रीनिंग कराएगा। लक्षण मिलने पर क्वारंटाइन में रखा जाएगा। जांच के बाद यदि सक्रमित मिलता है तो कोविड अस्पताल या घर पर आइसोलेट होना होगा। लक्षण हैं लेकिन संक्रमित नहीं होते हैं तो 14 दिन के होम क्वारंटाइन में भेजा जाएगा। लक्षणविहीन व्यक्ति सात दिन तक होम क्वारैंटाइन में रहेंगे।
जिले में पहुंचने के बाद जिला प्रशासन प्रत्येक प्रवासी की स्क्रनिंग के साथ-साथ पता एवं मोबाइल नंबर समेत लाइन-लिस्टिंग तैयार कराएगा। क्वारंटाइन सेंटर के प्रभारी अब सब प्रवासियों के नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि एक रजिस्टर में दर्ज करना होगा। जिनके घरों में होम आइसोलेशन की व्यवस्था नहीं है, उन्हेंं संस्थागत क्वारैंटाइन में रखा जाएगा। इसके लिए स्कूलों को आरक्षित किया जाए।
सामुदायिक सॢवलांस के लिए ग्राम निगरानी समिति व शहरी क्षेत्रों में मोहल्ला निगरानी समिति का प्रयोग। आशा कार्यकत्री ऐसे प्रत्येक क्वारंटाइन किए गए घरों में तीन दिन में एक बार भ्रमण किया जाएगा। दिल्ली-मुंबई से आने उत्तर प्रदेश आने वाली ट्रेनों में भीड़ देखने को मिल रही है। इन दिनों दिल्ली-मुंबई से आने प्रदेश आने वाली ट्रेनों में भीड़ देखने को मिल रही है।
बीते वर्ष भी बनाए गए थे कवॉरंटाइन सेंटर: कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान बीते वर्ष भी लॉकडाउन में प्रदेश के श्रमिकों व कामगारों, ठेला, खोमचा, रेहड़ी लगाने वाले या दैनिक कार्य करने वाले सभी लोगों के भरण-पोषण की व्यवस्था को सुनिश्चित की। जिसके तहत परिवहन निगम की बसों से प्रदेश के करीब 40 लाख प्रवासी कामगरों व श्रमिकों को उनके गृह जनपदों तक भेजने, चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराने व उनको स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई। प्रवासी श्रमिकों को राशन किट वितरण के साथ ही प्रति श्रमिक एक हजार रुपए की धनराशि भी ऑनलाइन माध्यम से हस्तांतरित की गई।