कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडल्यूसी) की आज बैठक हुई। इसमें पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई। पश्चिम बंगाल और असम सहित पांच राज्यों के चुनावों के कारण से अब मई तक के लिए कांग्रेस पार्टी के संगठन चुनाव को मई तक के लिए टाल दिया गया। तब तक के लिए सोनिया गांधी ही अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी।
मिल रही जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी 15 मई से 30 मई के बीच में संगठन चुनाव कराने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। तब तक पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों के चुनाव संपन्न हो जाएंगे।
सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा, ‘हमने कुछ राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। इस बीच, संगठनात्मक चुनावों के कार्यक्रम को भी CWC की मंजूरी लेनी होगी।’
इस बैठक में नए अध्यक्ष के चुनाव के साथ साथ किसान आंदोलन और कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। सोनिया गांधी ने कहा, ”नया मामला जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। इससे समझौता किया जा रहा है। इस मुद्दे पर सरकार की खामोशी सवाल खड़े कर रही है।जो राष्ट्रवाद का सर्टिफिकेट देते थे आज पूरी तरह से बेनकाब हो गए हैं।”
कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सरकार ने किसान संगठनों के साथ बातचीत के नाम पर हैरान करने वाली असंवेदनशीलता और अहंकार दिखाया है। सोनिया ने कहा, ”एक सप्ताह में संसद सत्र आरंभ होने जा रहा है। यह बजट सत्र है, लेकिन जनहित के कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर पूरी तरह चर्चा किए जाने की जरूरत है। क्या सरकार इस पर सहमत होती है, यह देखने होगा।”
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने आरोप लगाया, ”किसानों का आंदोलन जारी है और सरकार ने बातचीत के नाम पर हैरान करने वाली असंवेदनशीलता और अहंकार दिखाया है।”
उन्होंने यह भी कहा, ”यह स्पष्ट है कि कानून जल्दबाजी में बनाए गए और संसद को इनके प्रभावों का आकलन करने का अवसर नहीं दिया गया। हम इन कानूनों को खारिज करते हैं क्योंकि ये खाद्य सुरक्षा की बुनियादों को ध्वस्त कर देंगे।
व्हाट्सऐप बातचीत प्रकरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ”हाल ही में हमने बहुत ही परेशान करने वाली खबरें देखीं कि किस तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया गया है…. जो लोग दूसरों को देशभक्ति और राष्ट्रवाद का प्रमाणपत्र बांटते हैं वो अब पूरी तरह बेनकाब हो गए हैं।” उन्होंने अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार निजीकरण को लेकर हड़बड़ी में है।
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ राज्यों के उप चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे कुछ वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के सक्रिय अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग फिर उठाई।
वैसे, कांग्रेस नेताओं का एक बड़ा धड़ा लंबे समय से इस बात की पैरवी कर रहा है कि राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस की कमान संभालनी चाहिए। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने हाल ही में कहा था कि कांग्रेस के 99.99 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि राहुल गांधी फिर से उनका नेतृत्व करें।