पिछले 45 दिनों में बाजार 9 बार 15000 के स्तर से गिरकर 14300 तक आ गया। यह सब सही है फिर भी निम्न स्तर पर मजबूत खरीदारी आती है और निफ्टी 15000 पर पहुंच जाता है। यहां तक कि यह निश्चित रूप से अगले सप्ताह भी होगा।
नई दिल्ली, अगले 60 दिनों में 15,900 के हमारे निफ्टी लक्ष्य में कोई बदलाव नहीं है। इस हफ्ते फिर से निफ्टी 15000 से 14300 की रेंज में रहा। 15000 एक बड़ा मनोवैज्ञानिक अवरोध है, जबकि 14000 सबसे बड़ा मनोवैज्ञानिक सपोर्ट है। इस समय क्यों बेयर्स बाजार पर अटैक करने की कोशिश कर रहे हैं, हमें जरूर पता होना चाहिए..
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर को लेकर बाजार काफी चिंतित है। हर दूसरा विश्लेषक जमीनी हकीकत का जायजा लेने में व्यस्त है। उनका मानना है कि खपत बड़े पैमाने पर प्रभावित होगी। विशेष रूप से ऑटो, सीमेंट, स्टील, कपड़ा, बैंकिंग और एनबीएफसी जैसे क्षेत्रों में। बैंक और एनबीएफसी के लिए कर्ज लेने वालों की कमी की बात कही जा रही है। सीमेंट, स्टील और ऑटो सेक्टर के बारे में वे सोचते हैं कि डीलर डिलीवरी नहीं उठाएंगे और खुदरा खपत रुक जाएगी। उनका यह भी मानना है कि अगर राष्ट्रीय लॉकडाउन लगा, तो परिस्थितियां अत्यधिक खराब हो जाएंगी।
बाजार यह सब जानता है। पिछले 45 दिनों में बाजार 9 बार 15,000 के स्तर से गिरकर 14300 तक आ गया । यह सब सही है, फिर भी निम्न स्तर पर मजबूत खरीदारी आती है और निफ्टी 15,000 पर पहुंच जाता है। यहां तक कि यह निश्चित रूप से अगले सप्ताह भी होगा।
यह हमें मार्च 2020 और अप्रैल 2020 की याद दिलाता है, जहां हमने निफ्टी को 7500 तक गिरते हुए देखा था और उसके बाद भारी अस्थिरता देखी गई थी। विश्लेषकों की एक ही नस्ल हैरान थी व बाजार को शॉर्ट करने की कोशिश कर रही थी और आप सब जानते हैं कि क्या हुआ। इस बार भी दोषसिद्धि के मैथड़ को छोड़कर कुछ भी अलग नहीं है। यह कहा जा रहा कि है कि संक्रमण बड़े पैमाने पर है, क्योंकि यह प्रति दिन 2 लाख मामलों को पार कर गया है। ऑक्सीजन, बेड और महत्वपूर्ण इंजेक्शंस की कमी है। यह व्यापक तौर पर दर्शाता है कि लॉकडाउन के अतिरिक्त कोई ओर विकल्प नहीं है।
हम इन मुद्दों का विश्लेषण किसी और तरीके से करना चाहते हैं। निराशावादी होने का कोई अंत नहीं है। कृपया ध्यान दें कि पिछली बार कोरोना वायरस नियंत्रण में था, क्योंकि केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी निर्णय लिए थे, जो समय पर थे। कम से कम अब हम उनके प्रयासों को महसूस कर सकते हैं, जब राज्यों को बार-बार इस महामारी पर नियंत्रण पाने में विफल पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ ने सीनियर्स टी 20 को देखने के लिए 60 से 70 हजार लोगों की अनुमति दी, यह जानते हुए कि इससे संक्रमण फैल सकता है। गुजरात ने भी टेस्ट मैचों में ऐसा ही किया साथ ही तमिलनाडु ने भी। उसके बाद 5 राज्यों में चुनाव आया और उसके बाद कुंभ आया। अब कृपया ध्यान दें कि जब एक विवाह में 50 से अधिक व्यक्तियों की अनुमति नहीं है, तो ऊपर बताई गई घटनाओं में लाखों लोगों के इकट्ठा होने से संक्रमण तो फैलना ही था।
उन सभी राज्यों ने, जिन्होंने जनता पर प्रतिबंध लगाए हैं, स्वयं भी नियमों का पालन करना चाहिए, अगर उनका उद्देश्य संक्रमण को फैलाना नहीं हो। कौन-से राज्य ने संक्रमण के इस विस्तार को भांपकर पहले से सुविधाओं का विस्तार किया है? उत्तर है- वास्तव में कोई नहीं। निजी अस्तपालों, आईसीयू बेड्स के वितरण और remidivisir को नियंत्रित करना अत्यधिक मूर्खता हो सकती है और मीडिया को इस गुब्बारे की हवा निकालने का मौका मिल गया। यदि अस्तपाल अधिक कीमत लेते या निजी फर्मेसी लाभ पर remidivisir की बिक्री करती, तो यह बड़े नेटवर्क के कारण अधिक लोगों तक उपलब्ध हो पाती। सरकारी नियंत्रण के साथ अस्पतालों ने कहा कि वे इसे केवल मरीजों को उपलब्ध कराएंगे और कई तो बेड्स के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिस कारण मृत्यु दर में तेजी से इजाफा हुआ है। हालांकि, यह हमारा विषय नहीं है और आप हमारे विचारों से असहमति रख सकते हैं।
लॉकडाउन अब राज्य स्तर पर है और हर राज्य अपनी राजस्व धारा को ध्यान में रखते हुए घोषणा कर रहा है। इसलिए आंशिक लॉकडाउन होगा, पूरा नहीं होगा। तथ्य यह है कि हम एक दिन में 30 लाख लोगों का टीकाकरण कर रहे हैं। स्पूतनिक, मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन का निर्माण शुरू होने पर व साथ ही haffkins द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने पर हमारा मानना है कि टीकाकरण अगले 2 से 3 सप्ताह में प्रतिदिन एक करोड़ वैक्सीन को पार कर जाएगा। इसका मतलब यह भी है कि अगले 3 महीनों में 60-70 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो जाना चाहिए।
जब शॉर्ट सेलिंग के वर्तमान दौर की तुलना साल 2020 से करते हैं, तो हमारे पास साल 2020 जैसा अवसर दिखाई देता है। हमें निफ्टी को बहुत तेजी से 15900 व 16600 तक बढ़ते हुए देखना है और शॉर्ट कवरिंग कठिन होगी। हमारे इस विश्वास के पीछे कारण मार्च तिमाही की बेहद मजबूत स्थिति है। मार्च, 2021 में कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति नहीं थी। कोरोना का प्रकोप अप्रैल में देखने को मिला और अब तक कोई पूर्ण लॉकडाउन लागू नहीं हुआ है। लोगों का मानना है कि यह चुनाव परिणामों के बाद 2 मई को आएगा, हालांकि हम टीकाकरण पर अपने विचार के चलते इस पर विश्वास नहीं करते हैं। व्यवहारिक रूप से 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन की जरूरत नहीं होगी और जुलाई के आखिर तक देश 100 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने के करीब होगा। उस समय शॉर्ट्स करने वाले सर्वाइव नहीं कर पाएंगे।
अब कुछ ऐसे भी स्मार्ट खिलाड़ी हैं, जो जानते हैं कि बड़े शॉर्ट्स हो रहे हैं। फायदा उठाते हुए वे बाजार को अस्थिर बनाए रख रहे हैं और पॉजिशंस ले रहे हैं। वे निश्चित रुप से यह जानते हैं कि अगर लॉकडाउन होता है, तो भी बाजार को जुलाई, 2021 तक इसके प्रभाव का पता नहीं चलेगा। उस समय तक निफ्टी 16000 के पार हो जाएगा और किसी में भी जुलाई के आखिर तक शॉर्ट्स ओपन रखने की हिम्मत नहीं होगी। हमने टाटा स्टील को महज 45 दिनों में 25 फीसद बढ़ते देखा है। ऐसा स्टील, सीमेंट, बैंकिंग, एनबीएफसी और ऑटो सेक्टर के कई शेयरों के साथ होगा। एक और उदाहरण है टाटा मोटर्स। इसने पुणे प्लांट को बंद करने की घोषणा की और स्टॉक 285 से बढ़कर 315 हो गया।
यह भी ध्यान रखें कि जब आप अधिकतम लॉन्ग होते हो, तो लॉन्ग की वैल्यू होती है, लेकिन अगर आप शॉर्ट हैं, तो उत्तर हमेशा अनंत होता है। आपको पता होना चाहिए कि स्टील और सीमेंट में सरकार सबसे बड़ी उपभोक्ता है। वे खपत को उठाने के लिए अधिक क्यूई कर सकते हैं। बड़े प्रोजेक्ट प्रभावित नहीं होंगे। बड़े खिलाड़ियों के पास हमेशा 30 से 60 दिन की इन्वेंट्री होती है और इसलिए अगर छोटे लॉकडाउन होते हैं, तो उससे अर्थव्यवस्था पर असर नहीं पड़ेगा। कृपया ध्यान दें कि तथाकथित एक्सपर्ट्स द्वारा वित्त वर्ष 2021 के लिए दिये गए सभी पूर्वानुमान बुरी तरह विफल रहे थे। हम वित्त वर्ष 2022 पर भी कोई बड़ा प्रभाव नहीं देखते हैं।।
अब क्यूई की वजह से लिक्विडिटी सबसे अच्छी चीज है। यदि अर्थव्यवस्था प्रभावित हो जाती है, तो यह और अधिक बढ़ेगी, इसलिए बाजार भी बढ़ेगा। ध्यान दें कि स्टील कंपनियों ने कीमतें 1500 से 4000 रुपये प्रति टन बढ़ा दीं, जब उन्हें पता चला कि कोविड संक्रमण फैल रहा है। साल 2020 में हमने अप्रैल-मई में पूरी तरह रुकावट देखी, फिर भी निफ्टी 7500 से बढ़कर 15000 हो गया। अब कोई पूर्ण लॉकडाउन नहीं है। निफ्टी भले ही 100 फीसद नहीं बढ़ेगा, लेकिन अगले कुछ महीनों में निश्चित रूप से हम 15 फीसद की बढ़त देखेंगे।
बाजार सब जानता है। निफ्टी को इस समय 12500 तक गिरना चाहिए था, जिसकी उम्मीद बेयर्स कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में निफ्टी हर बार निम्म स्तर से ऊपर गया है। एक बार जब हम 15000 से पार जाएंगे तो नया दौर शुरू होगा और बेयर्स को कहीं छुपने को मजबूर होना पड़ेगा।
जिन सेक्टर्स को लॉकडाउन से फायदा होना चाहिए, वे मनोरंजन सेक्टर हैं जैसे कि zee, डाटा कंपनी जैसे bharti व jio और फार्मा सेक्टर। Tcs, infosys और tinplate अच्छे परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हैं, जिसका अर्थ है कि बाजार केवल मांग और आपूर्ति पर काम करता है। बड़ी मात्रा में शॉर्ट सेलिंग देखने के बाद, हमें केवल बुल मार्केट के थंब रूल गिरावट में खरीदारी पर विश्वास है।