क्या मायावती के गढ़ में बसपा और भाजपा को मात दे पाएंगे अखिलेश, यह है जीत का गणित

2021 समाजवादी पार्टी ने बसपा से निष्कासित धौलाना विधायक असलम चौधरी की पत्नी नसीम बेगम चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार घोषित कर बसपा प्रमुख मायावती और सत्ताधारी भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है।

 

गाजियाबाद, ऑनलाइन डेस्क। समाजवादी पार्टी ने बसपा से निष्कासित धौलाना विधायक असलम चौधरी की पत्नी नसीम बेगम चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार घोषित कर बसपा प्रमुख मायावती और सत्ताधारी भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का यह दांव एक सोची समझी राजनीति का हिस्सा है। क्या सपा की यह रणनीति मायावती और सत्ताधारी भाजपा के गढ़ में सेंधमारी करने में सफल हो पाएगी। अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में धन बल का इस्तेमाल भी हो सकता है। क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि भाजपा, बसपा, रालोद और सपा कोई भी दल अपने बूते जिला पंचायत अध्यक्ष पर जीत दर्ज कर पाने में असमर्थ है। निर्दलीय भी इतनी संख्या में नहीं हैं कि कोई भी पार्टी उसके समर्थन से जीत हासिल कर सके। बता दें कि गाजियाबाद को भाजपा और बसपा का गढ़ माना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जिले की पांचों सीटें जीती थी।

गाजियाबाद में जिला पंचायत सदस्यों की कुल संख्या 14 है। जिले में समाजवादी पार्टी (सपा) के तीन, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पांच, चौधरी अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के तीन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो जिला पंचायत सदस्य हैं। इसके अलावा एक निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य है। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने के लिए किसी एक दल को आठ सदस्यों का समर्थन जुटाना जरुरी है। जाहिर है बहुमत के लिए आठ सदस्य किसी के पास नही हैं। दिलचस्प बात यह है कि बसपा, सपा और भाजपा की निगाहें जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर हैं। सपा ने तो उम्मीदवार का एलान कर दिया है जबकि बसपा ने अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नही की है। भाजपा भी मौका देखकर ही उम्मीदवार घोषित करने के बारे में सोच सकती है। गाजियाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर मौजूदा समय में भाजपा का कब्जा है। हालांकि अब इस सीट पर जल्द ही चुनाव कराए जाएंगे।

क्या बसपा और भाजपा को मात दे पाएंगे अखिलेश

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि जब सपा के पास बहुमत नही है और बसपा और भाजपा में सेंधमारी भी आसान नही है तो क्यों धौलाना के विधायक असलम चौधरी की पत्नी नसीम बेगम चौधरी को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामित किया। अगर चौधरी अजीत सिंह की पार्टी का समर्थन भी मिल जाए तो सपा के पास छह सदस्य होते हैं और यदि निर्दलीय का भी साथ मिल जाए तो जीत से एक कदम सपा दूर रह जाएगी। यानी सपा के तीन, रालोद के तीन और एक निर्दलीय मिला दिया जाए तो कुल संख्या सात होती है। ऐसे में जीत के लिए जरुरी आठ सदस्य कैसे आएंगे।

ऐसे समझें जीत का गणित

सपा को यदि बसपा या भाजपा से किसी जिला पंचायत सदस्य का समर्थन मिल जाए तो नसीम बेगम चौधरी की जीत पक्की हो जाएगी। दूसरा विकल्प यह है कि अगर बसपा के पांच सदस्यों के साथ भाजपा के दो और एक निर्दलीय का साथ मिल जाए तो कुल सदस्यों की संख्या आठ हो जाएगी यानी मायावती की पार्टी का उम्मीदवार चेयरमैन बन जाएगा। तीसरा विकल्प यह है कि सपा के साथ भाजपा और बसपा भी चुनाव लड़ जाएं। ऐसे में जिसके पास ज्यादा सदस्य होंगे वही पार्टी जीत जाएगी।

सपा ने नसीम चौधरी को ही क्यों बनाया उम्मीदवार

नसीम बेगम चौधरी के पति असलम चौधरी धौलाना से विधायक हैं और बसपा से निष्कासित हो चुके हैं ऐसे में सपा को लगता है कि असलम चौधरी के संबंध बसपा नेताओं से अच्छे हैं जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है। सपा को उम्मीद है कि असलम चौधरी बसपा में सेंधमारी कर पार्टी को जीत हासिल करा सकते हैं। हालांकि बसपा पहले ही कह चुकी है कि वह मजबूती से जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ेगी। ऐसे में देखना होगा सपा की रणनीति कामयाब होती है या नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *