क्रिकेट सीखने के लिए रोजाना 150 किमी का सफर करते थे सौरभ, टीम इंडिया के ये दो खिलाड़ी है पसंद

सौरभ कुमार ने दिसंबर 2014 में सर्विसेस के लिए खेलते हुए हिमाचल प्रदेश के खिलाफ पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला था। हालांकि बाद में वह अपने घरेलू टीम यूपी के लिए खेलने लगे। सौरभ प्रथम श्रेणी में 46 मैचों में 196 विकेट ले चुके हैं।

 

नई दिल्ली,  श्रीलंका के खिलाफ आगामी टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय टीम में शामिल किए गए बाएं हाथ के स्पिनर सौरभ कुमार शुरुआती दिनों में क्रिकेट सीखने के लिए उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत से दिल्ली आया करते थे, जो आना-जाना मिलाकर करीब 150 किमी का सफर होता था। सौरभ घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं और वह गेंदबाजी आलराउंडर हैं। अभिषेक त्रिपाठी ने सौरभ कुमार से की खास बातचीत, पेश हैं मुख्य अंश।

यूपी से एक और स्पिनर भारतीय टीम में जा रहा है। आपको क्या उम्मीद थी और आगे क्या करना है?

-भारतीय टीम में चयन होने पर बहुत अच्छा लगा। मुझे उम्मीद तो थी ही क्योंकि यह अचानक नहीं हुआ है। हाल ही में भारत-ए के साथ खेला हूं जो अच्छा अनुभव था और इसका असर कहीं ना कहीं आता ही है। आगे भी मुझे अपने पुराने अनुभवों को याद करके तथा इससे सीख लेकर आगे बढ़ना है और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है।

किस तरह की गेंदबाजी करते हैं और आपका अपरहैंड किस चीज में है और इसका फायदा टीम को किस तरह मिलेगा?

– अभी तक तो सफर अच्छा रहा है क्योंकि घरेलू क्रिकेट में मैं यूपी का प्रतिनिधित्व करता हूं और टीम को विकेट निकालकर देता हूं। भारतीय टीम के लिए भी मैं ऐसा ही करना चाहता हूं और जब भी मुझे मौका मिलेगा मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा जिससे टीम की जीत में योगदान दे सकूं।

टीम के पास कुलदीप यादव सहित अन्य स्पिनर भी हैं और टीम में एक प्रतिस्पर्धा भी है, इसे किस तरह देखते हैं?

प्रतिस्पर्धा तो हर जगह है लेकिन मैं इन लोगों से साथ में सीखने की कोशिश करूंगा। मेरा ध्यान इस बात पर भी केंद्रित होगा कि मैं टीम के लिए जितना अच्छा कर सकूं करूं और अपनी काबिलियत पेश कर सकूं।

विदेशी टीमों का मानना होता है कि भारतीय पिचों पर स्पिनर को मदद मिलती है। इस पर आपका क्या कहना है?

हां, भारतीय पिचों पर स्पिनरों का थोड़ा बोलबाला होता है और यहां हार्ड हिटिंग पिचें नहीं होती है। लेकिन इसके साथ ही गेंदबाज को भी अच्छा प्रदर्शन करना होता है। सिर्फ मददगार पिचों से काम नहीं चलता।

आपकी फ्लाइट बहुत अच्छी होती है। यह बल्लेबाज के लिए कितनी खतरनाक होती है?

गेंदबाजी में फ्लाइट ही मेरे मजबूती है और मैं इसी से बल्लेबाजों को आउट करता हूं। हालांकि, गेंदबाजी करने के साथ ही मैं बल्लेबाजी भी करता हूं। मैंने बल्लेबाजी पर शुरू से ही ध्यान दिया है। मैं अंडर-15 से रन बना रहा हूं और फिर रणजी ट्राफी में आया तो लगा कि बल्लेबाजी में और सुधार करना चाहिए। बल्लेबाजी में सुधार किया जिससे रन भी बने।

अभ्यास में भी बल्लेबाजी करते थे?

हां, नेट्स पर भी मैं गेंदबाजी करने के साथ ही बल्लेबाजी पर भी ध्यान देता था। इससे अपनी बल्लेबाजी में सुधार करने का अच्छा मौका मिलता था और नेट्स पर बल्लेबाजी करने से इसमे सुधार भी आया।

आप किसको देखकर क्रिकेटर बने?

बिशन सिंह बेदी सर के मार्गदर्शन में ही पला बड़ा हूं और जो भी सीखा है उनसे ही सीखा है। उन्होंने हमेशा मुझे प्रेरित किया है और मेरी भी कोशिश रहती थी कि मैं ज्यादा से ज्यादा चीजें उनसे सीख सकूं।

अभी तक के सफर को कैसे देखते हैं और आपका संघर्ष कैसा रहा है?

यूपी में एक जगह है बड़ौत (जिला बागपत) मैं वहां से दिल्ली में क्रिकेट खेलने आता था। मैं वहां से दिल्ली नेशनल स्टेडियम में आता था और मेरा सफर वहीं से शुरू हुआ। ट्रेन से रोजाना आने-जाने में बहुत समय लगता था जिससे करियर के शुरू में काफी संघर्ष करना पड़ा। हालांकि, मैं जानता हूं कि क्रिकेट में हर पड़ाव पर संघर्ष करना पड़ता है और जब तक क्रिकेट खेलेंगे जिंदगी भर से संघर्ष चलता ही रहेगा। मैं बड़ौत से ट्रेन से आता था जो करीब एक तरफ से 75 किमी के आसपास है। मेरा घर रेलवे स्टेशन से पास आजाद नगर में ही था। वहां से ट्रेन से पुरानी दिल्ली उतरता था और फिर नेशनल स्टेडियम जाता था। अभ्यास के बाद फिर मैं वापस घर जाता था। मैं उस वक्त करीब 11 साल का था और तकरीबन यह सिलसिला पांच वर्षो तक चला। मैं सप्ताह में तीन से चार दिन दिल्ली आता था और अन्य दिन स्टेशन के पास क्रिकेट खेलता था। मेरे साथ पापा आते थे और मेरे करियर में उनका बहुत बड़ा योगदान है। पापा मेरे आकाशवाणी से अवकाशप्राप्त हैं। ऐसा नहीं है कि मैं बहुत ज्यादा अमीर परिवार से हूं लेकिन मध्यवर्गीय हूं। मेरा मानना है कि क्रिकेट में जितनी मेहनत करेंगे उतनी कामयाबी मिलती रहेगी।

आपको कौन सा खिलाड़ी पसंद है और आप किससे प्रेरित हुए?

हाल ही में रवींद्र जडेजा हैं जो मुझे बहुत पसंद है लेकिन विराट कोहली को भी मैं पसंद करता हूं। कोहली बहुत अच्छे बल्लेबाज हैं।

आपका गेंदबाजी स्टाइल किसी से मिलता जुलता है?

मैं किसी गेंदबाज की कापी नहीं करता हूं और जैसी भी गेंदबाजी कर रहा हूं या जो भी मेरी गेंदबाजी स्टाइल है वह मेरी अपनी है क्योंकि मैं किसी अन्य गेंदबाज का स्टाइल कापी नहीं करता हूं। मुझे फ्लाइट करना बेदी सर ने ही सिखाया। हालांकि, टीम में चयन की सूचना मिलने के बाद मेरी सर से बात नहीं हुई है।

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