पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके से भारत-चीन की सेनाओं की वापसी के बाद वहां शांति है। हालांकि, भारत की तरफ से इस क्षेत्र की गहन और हाईटेक निगरानी की जा रही है। सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि फिंगर-3 क्षेत्र, जहां भारतीय सेना अभी तैनात है, वहां ऊंचे स्थानों से दूरबीन और नाइट विजन उपकरणों की मदद से स्थिति पर नजर रखी जा रही है। फिंगर-3 की ऊंची पहाड़ियों से पूरे इलाके पर नजर रखना संभव है। इसके अलावा अत्याधुनिक ड्रोन भी तैनात किए गए हैं, जिनके जरिये पूरे क्षेत्र पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है। दोनों देशों की सेनाएं समझौते के तहत ही पीछे हटी हैं, लेकिन भारतीय सेना हर प्रकार से एहतियात बरत रही है।
134 किलोमीटर दायरे में फैला है इलाका
भारतीय सेना अब फिंगर-3 के निकट धन सिंह थापा पोस्ट के करीब आ चुकी है, जबकि चीनी फौज फिंगर-8 तक पीछे हट चुकी है। फिंगर-1 से फिंगर-8 तक का पूरा इलाका 134 किलोमीटर लंबा है। जो इलाका खाली हुआ है, वह भी तकरीबन सौ किलोमीटर के दायरे में फैला है।
गश्त पर अस्थाई रोक लगाई गई
तय समझौते के तहत इस क्षेत्र में अस्थाई तौर पर गश्त स्थगित रखी गई है। भारतीय सेना फिंगर-8 और चीन की सेना फिंगर-4 तक गश्त करती थी। सूत्रों ने कहा कि इसके शुरू होने में अभी लंबा वक्त लग सकता है, क्योंकि पहले टकराव के अन्य बिन्दुओं, जिनमें डेप्सांग (डेपसांग), डेमचौक, हॉट स्प्रिंग और गोगरा शामिल हैं, उन पर सारा ध्यान है। पिछली बैठक में भी इन्हीं पर जोर दिया गया था।
डेप्सांग और डेमचौके का मुद्दा जटिल
सूत्रों के मुताबिक, हाट स्प्रिंग और गोगरा में सेनाएं पहले ही काफी हद तक पीछे हट चुकी हैं। वहां पर मई से पूर्व की स्थिति बहाल करने में ज्यादा मुश्किल नहीं है। अलबत्ता डेप्सांग और डेमचौके के मुद्दे जटिल हैं। उन्हें सुलझाने में अभी वक्त लग सकता है। सूत्रों ने कहा कि भारत-चीन में अगले कुछ दिनों में 11वें दौर की बैठक हो सकती है। या फिर विदेश मंत्रालयों के बीच बनी संयुक्त समिति आपस में चर्चा कर सकती है।