ऐसा माना जा रहा है कि चीन की सीमा से लगने वाले देशों के लिए यह कानून अहम हो सकता है। आइए जानते हैं चीन के इस नए सीमा कानून के बारे में ? आखिर भारत को इस कानून से बड़ी चिंता क्यों है ?
नई दिल्ली, भारत और चीन के बीच 14वें दौर की सीमा वार्ता ऐसे समय हो रही है, जब ड्रैगन अपने नए सीमा कानून का कड़ाई से पालने करने को आतुर है। खास बात यह है दोनों देशों के सैन्य कमांडर स्तर की इस वार्ता में पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर चर्चा होगी। हालांकि, चीन ने वार्ता शुरू होने से पहले ही दबाव की रणनीति अपनाते हुए सीमा पर हालात सामान्य करने का जिम्मा भारत पर थोप दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि चीन का नया सीमा कानून क्या है। चीन की आक्रामकतावादी नीति के कारण यह कानून भी शक की निगाह से देखा जा रहा है। खासकर भारत की इस कानून पर पैनी नजर है। ऐसा माना जा रहा है कि चीन की सीमा से लगने वाले देशों के लिए यह कानून अहम हो सकता है। आइए जानते हैं चीन के इस नए सीमा कानून के बारे में ? आखिर भारत को इस कानून से बड़ी चिंता क्यों है ? क्या इस कानून के बहाने चीन भारत पर दबाव की रणनीति अपना रहा है ?
मंगोलिया और रूस के बाद चीन की सबसे लंबी सीमा भारत से
प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि चीन के इस कानून से भारत का चिंतित होना लाजमी है। उन्होंने कहा कि मंगोलिया और रूस के बाद चीन की सबसे लंबी सीमा भारत से लगती है। चीन की भारत समेत 14 देशों के साथ 22,475 किलोमीटर लंबी सीमा भारत से लगी है। भारत की तरह रूस और मंगोलिया का चीन के साथ कोई सीमा विवाद नहीं है। भारत के अलावा भूटान के साथ चीन की 447 किलोमीटर की सीमा विवादित है। इसमें से 12 देशों के साथ भूमि विवाद का निपटारा चीन कर चुका है। भूटान के साथ लगी 400 किमी की सीमा पर इसी साल 14 अक्टूबर को चीन ने सीमा विवाद के निपटारे के लिए थ्री स्टेप रोडमैप के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ऐसे में भारत ही अकेला देश है, जिसके साथ चीन का सीमा विवाद अब तक जारी है।
क्या है भारत की बड़ी चिंता
प्रो. पंत ने कहा कि भारत को यह चिंता सता रही है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर यथास्थिति बदलने के कदम को सही ठहराने के लिए लैंड बाउंड्री कानून का प्रयोग कहीं न करे। यही कारण है कि भारत ने चीन के इस कानून की कड़ी निंदा की है। भारत ने अपने स्टैंड को क्लियर करते हुए कहा है कि यह कानून चीन का एकतरफा रुख है। चीन इस तरह के कानून का निर्माण करके दोनों पक्षों के बीच की मौजूदा व्यवस्था को बदल नहीं सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का समाधान होना बाकी है। भारत-चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी भूमि सीमा साझा करता है। दोनों देशों की सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। दोनों देशों के बीच कभी सीमा निर्धारण नहीं हो सका है। हालांकि, यथास्थिति बनाए रखने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी लाइन आफ कंट्रोल शब्द का इस्तेमाल होता है।