भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव को कम करने के लिए शनिवार को 12वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत करने जा रहे हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव को कम करने के लिए शनिवार को 12वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत करने जा रहे हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की यह बातचीत शनिवार सुबह करीब साढ़े दस बजे वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी हिस्से मोल्डो में होगी। इस वार्ता में हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा हाइट्स क्षेत्रों से डिस-एंगेजमेंट को लेकर चर्चा हो सकती है।
मालूम हो कि दोनों देशों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। इन वार्ताओं के चलते कई जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी हैं लेकिन अब भी कई इलाकों में सैन्य जमावड़ा बरकरार है। इन वार्ताओं दोनों देशों ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के साथ टकराव की नई घटनाओं से बचने पर सहमति जताते आए हैं। भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 11वें दौर की बातचीत अप्रैल महीने में हुई थी। लद्दाख की चुशूल-मोल्डो सीमा पर यह बैठक 13 घंटे से भी ज्यादा लंबी चली थी।
पिछली बातचीत में भारत ने चीन से साफ कहा था कि विवाद के मोर्चों से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी से ही मौजूदा तनातनी खत्म होगी और शांति एवं स्थायित्व सुनिश्चित होगा। गौरतलब है कि पैंगोंग झील के इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाए जाने के बाद एलएसी के बाकी अग्रिम मोर्चों से चीन अपने सैनिकों की वापसी के मसले को लंबा खींच रहा है। इस मसले पर भारत का साफ कहना है कि सैनिकों को पीछे हटाए बिना गतिरोध का हल नहीं निकल सकता। भारत यह भी साफ कर चुका है कि सीमा पर किया गया कोई भी भौतिक बदलाव उसे मंजूर नहीं होगा…
बता दें कि अप्रैल 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। चीन की चालबाजियों के चलते पिछले साल मध्य जून में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी। इस झड़प में भारत के रणबांकुरों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया था। इसमें देश के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। चीन के भी कई सैनिक इस झड़प में मारे गए थे लेकिन चीन ने अपनी अवाम से मारे गए सैनिकों असल संख्या नहीं बताई थी। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।