जन सुनवाई में कौन सुनेगा?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के जन सुनवाई पोर्टल से लोगों का विश्वास अब उठता जा रहा है। आम जनता अब कहने लगी है कि क्या फायदा ऐसी जन सुनवाई पोर्टल से।

 

लख़नऊ,  उत्तर प्रदेश ; आम आदमी 100/- या 50/- रु० ख़र्च करके उत्तर प्रदेश  मुख्यमंत्री को जन सुनवाई में अपनी शिकायत भेजता है। पर नतीजा शून्य निकलता है। ये बात मैं यूं ही नहीं लिख रहा हूं बल्कि जन सुनवाई पोर्टल के दो उदाहरण मेरे सामने हैं। पहला उदाहरण एक पीड़ित की जमीन पर कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया। पीड़ित ने उ०प्र० के मुख्यमंत्री के जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत भेजी, शिकायत को सम्बन्धित थाने भेजा गया पीड़ित बहुत खुश था कि अब उसे न्याय मिल जायेगा। बहुत दिनों के बाद जब वह पता करने गया तो उसे पता चला कि उसकी शिकायत कैंसिल हो गई है। उदाहरण दूसरा एक व्यक्ति ने सुभाष साहू की स्कीम में अपना प्लाट बुक कराया न उसको प्लाट मिला न उसको पैसे वापस मिले वर्षों सुभाष साहू के कार्यालय के चक्कर काटने के बाद वह व्यक्ति मुख्यमंत्री के जन सुनवाई पोर्टल में दो बार शिकायत कर चुका है पर उसकौ न्याय अभी तक नहीं मिला, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के जन सुनवाई पोर्टल से लोगों का विश्वास अब उठता जा रहा है। आम जनता अब कहने लगी है कि क्या फायदा ऐसी जन सुनवाई पोर्टल से।

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