इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में साइंटिफिक सर्वे मसले पर फिर बहस हुई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की कोर्ट में उपस्थित हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अधिकारी आलोक त्रिपाठी ने कहा कि सर्वे में संपत्ति रिकॉर्ड की जाती है। छोटी मशीन से सैंपल विशेषज्ञ बताते हैं। फोटोग्राफी में क्लोजअप लिया जाता है। जीपीएस में लंबाई चौड़ाई पता करते हैं।
प्रयागराज । ज्ञानवापी परिसर में साइंटिफिक सर्वे पर स्टे बढ़ गया है। कोर्ट ने सुनवाई के लिए गुरुवार को फिर समय दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में साइंटिफिक सर्वे मसले पर बुधवार को एक बार फिर बहस हुई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की कोर्ट में उपस्थित हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अधिकारी आलोक त्रिपाठी ने कहा कि सर्वे में संपत्ति रिकॉर्ड की जाती है। छोटी मशीन से सैंपल विशेषज्ञ बताते हैं। फोटोग्राफी में क्लोजअप लिया जाता है। जीपीएस में लंबाई चौड़ाई पता करते हैं।
दोबारा सुनवाई शुरू होने पर मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि माडर्न तकनीक से स्ट्रक्चर की जांच हो सकती है, वह भी बिना किसी नुकसान के। अभी एरिया की पैमाइश, फोटोग्राफी रडार इमैजिंग की जाएगी।