ज्ञानवापी मस्जिद -शृंगार गौरी प्रकरण में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रही। इसके साथ ही ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंपने सहित में मुस्लिमों का ज्ञानवापी मस्जिद में प्रवेश निषेध करने की मांग हिंदू पक्ष की ओर से की गई है।
वाराणसी, ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में जिला जज की अदालत में चल रही सुनवाई गुरुवार को भी जारी रही। मंदिर पक्ष मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं, इस पर हिंदू पक्ष अपनी दलील आगे बढ़ा रहा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन मंदिर पक्ष की ओर से दाखिल वाद के बिंदुओं को एक एक कर स्पष्ट कर रहे हैं। उनके समर्थन में सुप्रीम कोर्ट की फैसलों को नजीर के तौर पर पेश कर रहे हैं। इसके साथ ही विश्व वैदिक सनातन संघ की अतंरराष्ट्रीय महामंत्री किरन की ओर से नियमित दर्शन की अनुमति के प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई की गई। इस दौरान ज्ञानवापी क्षेत्र हिंदुओं को सौंपने सहित ज्ञानवापी में मुस्लिमों की एंट्री बैन करने सहित तमाम विषयों पर बहस हुई।
विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरन सिंह की ओर से दाखिल प्रर्थना पत्र पर अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी। गुरुवार को उसके अमेंडमेंट पर बहस हुई। मस्जिद पक्ष ने इस पर सभी वादियों के दस्तखत करने की मांग की है। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान एक बार फिर हिंदू ला और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की चर्चा हुई मंदिर पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने ज्ञानवापी के वक्फ संपत्ति होने पर सवाल उठाया। साथ ही कहा कि वह भूमि देवता की है किस स्थान पर 1930 से लेकर 1993 तक लगातार पूजा होती रही है दीन मोहम्मद केस में इसका उल्लेख भी है। उन्होंने और बिंदुओं को भी अदालत के समक्ष रखा अदालत ने अगली सुनवाई की तिथि 15 जुलाई की है।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद स्थाई मान्यता : जिरह के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से हिंदू मान्यता को स्पष्ट किया गया। बताया गया कि मंदिर में प्राण स्थापना के बाद से ही उसकी मान्यता स्थाई हो जाती है। ऐसे में वहां पर मंदिर की मान्यता अब भी बरकरार है। ऐसे में ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के बाद वह क्षेत्र हिंदू पक्ष का ही है।