अमेरिकी शोधकर्ताओं की एक रिसर्च के मुताबिक वर्ष 2050 तक तिब्बत के पठार में मौजूद अधिकतर जल के भंडार खत्म हो सकते हैं। जानकारों के मुताबिक इसकी एक बड़ी वजह क्लाइमेट चेंज भी है। हालांकि अब इससे बचना काफी मुश्किल है।
वाशिंगटन (एजेंसी)। तिब्बत के पठार को अब तक की सबसे डिटेल रिसर्च रिपोर्ट दुनिया के सामने आ चुकी है। ये शोध दरअसल, भविष्य के लिए एक चेतावनी और इंसानों के लिए एक बड़े संकट की ओर इशारा है। ये शोध प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन पत्रिका नेचर में पब्लिश हुआ है। इसमें कहा गया है कि जल मीनार कहा जाने वाले इस पठार में मौजूद पानी के अधिकतर जल भंडार अगले 27 वर्षों में समाप्त हो सकते हैं। बता दें कि ये भंडार करीब दो अरब लोगों की प्यास बुझाते हैं। इस लिहाज से ये रिसर्च काफी मायने रखती है। इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया हे कि तिब्बत के पठार क्षेत्र में 2050 तक एक बड़ा हिस्सा खत्म हो जाएगा जो आ लोगों की प्यास बुझा रहा है।
तिब्बत के पठार में मौजूद अमु दरिया बेसिन से मध्य एशिया और अफगानिस्तान को पानी की आपूर्ति होती है। इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि इस जल भंडार में पहले ही जबरदस्त गिरावट आ चुकी है। इसी तरह से सिंधु बेसिन के जल में भी जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। यहां से उत्तर भारत, कश्मीर और पाकिस्तान को पानी की सप्लाई होती है। रिसर्च बताती है कि इसकी जल आपूर्ति क्षमता में 79 फीसद तक कम हो चुकी है। रिसर्च में ये भी कहा गया है कि इस कमी की वजह से यहां पर रहने वाली इंसानी आबादी का करीब एक चौथाई हिस्सा प्रभावित होगा।
यह शोध पेन स्टेट, सिंघुआ यूनिवर्सिटी और टेक्सस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम ने किया है। टीम ने अपनी रिसर्च के दौरान पाया कि हाल के कुछ दशकों में जलवायु परिवर्तन से टेरेस्ट्रियल वाटर स्टोरेज (TWS) में जबरदस्त कमी आई है। इसमें जमीन के ऊपर और जमीन के नीचे दोनों ही तरफ पानी कम हुआ है। तिब्बती पठार के कुछ क्षेत्रों में प्रति वर्ष 15.8 गीगाटन तक पानी की कमी की बात सामने आई है। रिसर्च टीम का कहना है कि यदि कार्बन उत्सर्जन को कम कर भी लिया जाता है तो भी 21 वीं सदी के मध्य तक तिब्बत के पठार का लगभग 230 गीगाटन पानी खत्म हो चुका होगा।