देश के लिए उदाहरण हैं मध्य प्रदेश के किसान, जानें कैसे MSP से नाता तोड़ बने आत्‍मनिर्भर,

किसानों में भ्रम फैलाने के लिए कुछ लोग किसान आंदोलन चला रहे हैं। न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) की व्‍यवस्‍था समाप्‍त होने का डर बताया जा रहा है लेकिन देश में किसानों की स्थिति और दृष्टिकोण बदल रहा है। वे एमएसपी पर निर्भरता खत्‍म कर आत्‍मनिर्भर हो रहे हैं।

 

भोपाल, किसानों में भ्रम फैलाने के लिए कुछ लोग किसान आंदोलन चला रहे हैं। न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) की व्‍यवस्‍था समाप्‍त होने का डर बताया जा रहा है, लेकिन देश में किसानों की स्थिति और दृष्टिकोण बदल रहा है। वे एमएसपी पर निर्भरता खत्‍म कर आत्‍मनिर्भर हो रहे हैं। मध्‍य प्रदेश के किसान इसका उदाहरण हैं। इस साल दलहन उत्‍पादक किसानों ने आश्‍चर्यजनक रूप से एमएसपी पर बहुत ही कम उपज बेची है। इस साल सिर्फ चार किसानों ने मात्र छह क्विंटल सरसों एमएसपी पर बेची है। जबकि पिछले साल 42603 किसानों ने 11 लाख 51 हजार 690 क्विंटल सरसों बेची थी। 39 किसानों ने 1760 क्विंटल मसूर इस साल बेची, जो पिछले साल 1898 किसानों के माध्‍यम से 14, 330 क्विंटल बिक्री थी।

इसी प्रकार इस साल 51435 किसानों ने 14 लाख 21 हजार 800 क्विंटल चना बेचा। इसमें पिछले साल का आंकड़ा दो लाख 62 हजार 797 किसान और बिक्री 70 लाख 13 हजार 160 क्विंटल था। खुले बाजार में किसानों को अधिक दाम मिलने से एमएसपी पर उनकी निर्भरता कम हुई है।

चना और मसूर का एमएसपी 5100 और सरसों का 4650 रुपये प्रति क्विंटल है। एक कारण यह भी- खुले बाजार में दाम बढ़ने की एक वजह कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को लेकर आई जागरूकता भी है। प्रोटीन के लिए लोगों के खाने में दालों का उपयोग बढ़ा है। इससे खुले बाजार में इनके दाम एमएसपी से ज्‍यादा हैं।

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