सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक रोजगार पाने के लिए राजस्थान सरकार के दो बच्चों की पात्रता मानदंड को बरकरार रखा है और फैसला सुनाया है कि यह भेदभावपूर्ण नहीं है और संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस प्रावधान के पीछे राजस्थान सरकार का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के उस फैसले को बरकरार जिसमें सरकारी नौकरी के लिए दो बच्चों की पात्रता मानदंड की बात कही गई। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि राजस्थान सरकार का यह फैसला भेदभावपूर्ण नहीं है और संविधान का उल्लंघन भी नहीं करता है।
रामजी लाल जाट की अपील खारिज
राजस्थान विभिन्न सेवा (संशोधन) नियम (2001) उन उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी पाने से रोकता है जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दो-बच्चों के मानदंड को बरकरार रखते हुए पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया, जिन्होंने 2017 में सेना से सेवानिवृत्ति के बाद 25 मई 2018 को राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी के लिए आवेदन किया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम 1989 के नियम 24 (4) में कहा गया है कि वो उम्मीदवार सरकारी नौकरी में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा, जिसके 1 जून 2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हों। यह निर्णय गैर-भेदभावपूर्ण है और संविधान का उल्लंघन नहीं करता है।
परिवार नियोजन को बढ़ावा देना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रावधान के पीछे का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है। जाट की उम्मीदवारी को राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम 1989 के नियम 24 (4) के आलोक में इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि क्योंकि 1 जून 2002 के बाद उनके दो से अधिक बच्चे थे और वह राज्य के तहत सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य थे।