तीन बड़ी आबादी पर किए गए इस अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों ने ज्यादा मात्रा में दूध का सेवन किया उनमें गुड और बैड- दोनों ही प्रकार के कोलेस्ट्राल का स्तर कम पाया गया। हालांकि उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) दूध नहीं पीने वाले से अधिक रहा।
वाशिंगटन, दूध के फायदे को लेकर एक और व्यापक अध्ययन हुआ है। करीब 20 लाख लोगों पर किए गए इस अध्ययन में पाया गया है कि नियमित रूप से दूध पीने का कोलेस्ट्राल का स्तर बढ़ने से संबंध नहीं है। इतना ही नहीं, एक अन्य अध्ययन में यह भी पाया गया है कि जिन लोगों ने नियमित तौर पर दूध का सेवन किया, उनमें दिल के रोग का खतरा 14 फीसद कम रहा। यह अध्ययन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओबीसिटी में प्रकाशित हुआ है।
ज्यादा दूध का सेवन कार्डियोवास्कुलर रोगों के जोखिम की दृष्टि से कोई विशिष्ट कारक नहीं
तीन बड़ी आबादी पर किए गए इस अध्ययन के मुताबिक, जिन लोगों ने ज्यादा मात्रा में दूध का सेवन किया, उनमें गुड और बैड- दोनों ही प्रकार के कोलेस्ट्राल का स्तर कम पाया गया। हालांकि उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) दूध नहीं पीने वाले से अधिक रहा।शोधकर्ताओं की टीम ने दूध के पाचन को आनुवंशिक नजरिये से भी परखा है। मिल्क शुगर जिसे लैक्टोज के नाम से जानते हैं, उसके पाचन जुड़े लैक्टेज जीन में भी भिन्नता पाई गई है। जिन लोगों में लैक्टोज के पाचन की शक्ति ज्यादा पाई गई, उनकी पहचान अधिक मात्रा में दूध सेवन करने वालों के रूप में की गई।
करीब 20 लाख लोगों पर किया गया व्यापक अध्ययन
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में न्यूट्रोजेनेटिक्स एंड न्यूट्रोजेनोमिक्स के प्रोफेसर विमल करानी कहते हैं, हमने प्रतिभागियों में आनुवंशिक भिन्नता पाई। जो लोग ज्यादा दूध लेते थे, उनका बीएमआइ, बॉडी फैट तो ज्यादा था, लेकिन दिलचस्प रूप से गुड और बैड कोलेस्ट्राल का स्तर कम पाया गया। हमने यह भी पाया कि इस आनुवंशिक भिन्नता के आधार पर दिल के रोगों के जोखिम में भी अंतर था। इन सब बातों से यह पता चलता है कि दिल के रोगों की रोकथाम के लिए दूध का सेवन कम करना जरूरी नहीं हो सकता है।
यह नया अध्ययन उन विरोधाभासी शोध निष्कर्षो की पृष्ठभूमि में किया गया कि ज्यादा डेयरी उत्पादों के सेवन का ओबीसिटी और डायबिटीज जैसे कार्डियोमेटाबोलिक रोगों से कैजुअल संबंध है। पिछले अध्ययनों में सैंपल साइज में विसंगतियों के मद्देनजर इस व्यापक विश्लेषण के लिए करीब 20 लाख लोगों पर जीनेटिक एप्रोच से अध्ययन किया गया ताकि भ्रम की स्थिति से बचा जा सके।
बीएमआइ और बॉडी फैट की मात्रा में थोड़ी वृद्धि के बावजूद नुकसान नहीं
यूके बायोबैंक के डाटा के विश्लेषण में भी पाया गया कि लैक्टेज जीनेटिक भिन्नता के अनुरूप लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 11 फीसद कम था। इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला कि ज्यादा दूध के सेवन से डायबिटीज बढ़ने का या इससे जुड़े बायोमार्कर की मात्रा का कोई संबंध है।
प्रोफेसर करानी का कहना है कि यह अध्ययन निश्चित रूप से दर्शाता है कि ज्यादा दूध का सेवन कार्डियोवास्कुलर रोगों के जोखिम की दृष्टि से कोई विशिष्ट कारक नहीं है, भले ही बीएमआइ और बॉडी फैट की मात्रा में थोड़ी वृद्धि हो जाए। हालांकि इस अध्ययन से यह साफ नहीं हो पाया कि डेयरी उत्पादों में मौजूद फैट का कोलेस्ट्राल का स्तर कम करने में कोई भूमिका है या अज्ञात ‘मिल्क फैक्टर’ के कारण ऐसा होता है।