प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जलवायु शिखर सम्मेलन (Climate Change summit) में भाग लिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मानवता अभी वैश्विक महामारी से जूझ रही है। यह घटना याद दिलाती है कि जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा खत्म नहीं हुआ है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को घोषणा की कि भारत और अमेरिका निवेश जुटाने और हरित सहयोग बढ़ाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी शुरू कर रहे हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक स्तर पर तेज गति और बड़े पैमाने पर ठोस कार्रवाई की पैरवी की। अमेरिका की मेजबानी में राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग समेत 40 वैश्विक नेताओं के वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत ने अपनी विकास चुनौतियों के बावजूद स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, वनीकरण और जैव विविधता पर कई साहसिक कदम उठाए हैं। भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट 60 फीसद है जो वैश्विक औसत से कम है।
साझीदारों का स्वागत
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जलवायु के प्रति जिम्मेदार विकासशील देश के तौर पर भारत अपने सतत विकास का खाका बनाने के लिए साझीदारों का स्वागत करता है। ये दूसरे विकासशील देशों की भी मदद कर सकते हैं जिन्हें सस्ते वित्त और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की जरूरत है। इसीलिए राष्ट्रपति बाइडन और मैं भारत-अमेरिका जलवायु एवं स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी लांच कर रहे हैं। साथ मिलकर हम निवेश जुटाने में मदद करेंगे, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करेंगे और हरित सहयोग को संभव बनाएंगे।’
विवेकानंद के वचनों को याद दिलाया
दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन मोदी ने अपने संबोधन में स्वामी विवेकानंद के वचनों को याद किया जिन्होंने कहा था, ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य तक न पहुंच जाओ।’ उन्होंने वर्तमान दशक को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई का दशक बनाने की पैरवी भी की और कहा, ‘भारत में हम अपनी भूमिका निभा रहे हैं। 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का महात्वाकांक्षी लक्ष्य हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’
गंभीर खतरा टला नहीं
मोदी, बाइडन और चिनफिंग के अलावा सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो और जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा भी शिरकत कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि मानवता इस समय वैश्विक महामारी से जूझ रही है और सही समय पर यह सम्मेलन याद दिलाता है कि जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा टला नहीं है। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में जलवायु परिवर्तन दुनियाभर में करोड़ों लोगों के लिए वास्तविकता है। उनका जीवन और आजीविका पहले ही प्रतिकूल परिणामों का सामना कर रह रहे हैं।’
ग्लोबल वार्मिग को नीचे रखने पर जोर
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों में है जिसका राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) दो डिग्री सेल्सियस के अनुकूल है। उन्होंने कहा कि स्थायी जीवन शैली और बुनियादी बातों की ओर लौटने का दर्शन कोरोना बाद के दौर के लिए आर्थिक रणनीति का महत्वपूर्ण स्तंभ होना चाहिए। पेरिस समझौते के तहत प्रत्येक देश को उत्सर्जन में कमी का अपना लक्ष्य तय करना है जिसे एनडीसी कहते हैं। समझौते का मकसद ग्लोबल वार्मिग को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है।
साझेदारी का यह है लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के कुछ घंटों बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा पर भारत-अमेरिका साझेदारी का मकसद यह प्रदर्शित करना है कि राष्ट्रीय परिस्थितियों और सतत विकास की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए भी दुनिया कैसे समावेशी और लचीले आर्थिक विकास के साथ जलवायु कार्रवाई से जुड़ सकती हैं।