लखनऊ के ठाकुरगंज में रहने वाले नोवा अस्पताल के संचालक डा. मनीष यादव ने खुद को गोली मार ली। गंभीर हालत में उन्हें केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। इंस्पेक्टर के मुतािबक घटना से पहले घर में ही कुछ विवाद हुआ था।
लखनऊ, ठाकुरगंज के बरावनकला में खुद को गोली मारने वाले नोवा अस्पताल के संचालक डा. मनीष यादव की रविवार दोपहर इलाज के दौरान ट्रामा सेंटर में मौत हो गई। डा. मनीष का घर में ही विवाद हुआ था। इसके बाद पिस्टल से कनपटी पर सटाकर उन्होंने खुद को गोली मार ली थी। पुलिस घटना से जुड़े अन्य पहलुओं की जांच कर रही है।
इंस्पेक्टर ठाकुरगंज विजय कुमार यादव के मुताबिक, बरावनकला में रहने वाले डा. मनीष यादव नोवा अस्पताल के संचालक थे। शनिवार रात घर के अंदर उन्होंने पिस्टल कनपटी पर सटाकर खुद को गोली मार ली थी। गोली चलने की आवाज सुनकर आस पड़ोस के लोग पहुंचे तो डा. मनीष बेड पर खून से लथपथ हालत में पड़े थे। आनन फानन में सब उन्हें ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचे। जहां रविवार दोपहर इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
इंस्पेक्टर ने बताया कि पिस्टल को कब्जे में ले लिया गया है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि पिस्टल लाइसेंसी है। डा. मनीष ने खुद को क्यों गोली मारी है इसकी जानकारी की जा रही है। पूछताछ में मनीष के भाई रिंकू यादव ने बताया कि घटना के समय भाभी अपनी चार साल की बेटी के साथ अपने मायके गई थीं। उनकी मां की तबीयत खराब थी।
चार दिन से भाभी वहीं पर थीं। घटना के समय भाई घर में अकेले थे। इंस्पेक्टर ने बताया कि डा. मनीष का घर में ही किसी से कुछ विवाद हुआ था। इस बात की पड़ताल की जा रही है कि आखिर किससे विवाद हुआ था। जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल डा. मनीष की पत्नी व घरवालों ने किसी भी आरोप से इंकार किया है।
बावरिया गिरोह के डकैतों की गोलियों से मारा गया था भाई : डा. मनीष काकोरी के रहने वाले हैं। उनका छोटा भाई काकोरी में रहता था। वर्ष 2018 में सर्दी के दिनों में काकोरी इलाके में ताबड़तोड़ कई डकैती की घटनाएं हुई थीं। बावरिया गिरोह के डकैती ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर पूरे गांव में दहशत फैला दी थी। 15-20 लोगों को मारपीट कर घायल किया था। किसी को असलहे से तो किसी को लोहे के राड से। गोली लगने से डा. मनीष के एक भाई की मौत हो गई थी।