न्याययोचित, बात करने वाले पुलिसकर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार क्यों?

चौकी प्रभारी जो नाइट ड्यूटी करने के बाद बुखार होने के बावजूद बैठ कर पर्चा काटता है जबकि उसकी पत्नि कैंसर से पीड़ित है उस चौंकी प्रभारी के दिल पर क्या बीत रही होगी ऐसे कई उदहारण हैंपुलिसकर्मियों पर लगे इन झूठे आरोपों पर पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी भी ज़्यादा कुछ नही कर सकते
लखनऊ ; उत्तर प्रदेश – प्राय: यह देखने में आता है कि पुलिसकर्मी न चाहते हुए भी ‌रूपये के चक्कर में फंसते हैं रु मांगने का आरोप किसी भी पुलिसकर्मी पर बड़ी आसानी से लगता है और पुलिसकर्मियों पर लगे इन झूठे आरोपों पर पुलिस विभाग के उच्चाधिकारी भी ज़्यादा कुछ नही कर सकते अलावा सम्बंधित पुलिसकर्मी को विरूद्ध कार्यवाही करने के पुलिस की उच्चाधिकारियोँ की भी मजबूरी है उन्हें भी जवाब देना होता है
यूं भी पुलिस की नोकरी बहुत कठिन होती जा रही है जरा अन्दाजा लगाइये कि एक चौकी प्रभारी जो नाइट ड्यूटी करने के बाद बुखार होने के बावजूद बैठ कर पर्चा काटता है जबकि उसकी पत्नि कैंसर से पीड़ित है उस चौंकी प्रभारी के दिल पर क्या बीत रही होगी ऐसे कई उदहारण हैं होली ईद जनता अपने घरों में चैन से मनाती है पर पुलिसकर्मी अपने परिवार से दूर आम जनता की सुरक्षा कर रहा होता है इस तरह से अगर देखा जाए तो पुलिस की ड्यूटी और सरकारी नौकरियों की अपेक्षा अधिक कठिन है इसलिए कम से कम उत्तर प्रदेश सरकार को पुलिसकर्मियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए न्याययोचित बात करने वाले पुलिसकर्मियों से जनता को अभद्रतापूर्ण व्यवहार नहीं करना चाहिए।

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