इस सुरक्षा नीति में कहा गया है कि भारत में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार पाकिस्तान का इस्तेमाल घरेलू राजनीति में कर रही है। भारत की सरकार अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के साथ रिश्तों के मुद्दे का राजनीति में इस्तेमाल करती है।
नई दिल्ली, इन दिनों पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति सुर्खियों में है। पाकिस्तान के लोगों का ध्यान इस नीति पर है। इस नीति में दावा किया गया है कि इससे पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था में सुधार होगा। इसमें बड़ी-बड़ी बातें की गई है। पाकिस्तान के नागरिकों को सपने दिखाए गए है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में इस नई सुरक्षा नीति से पाकिस्तान में कायाकल्प होने वाला है। इस नीति में एक अहम सवाल पर भारत की भी नजर है। इस नीति में भारतीय जनता पार्टी और जम्मू कश्मीर का भी जिक्र है, जिससे भारत में इस नीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आखिर इस नीति में भाजपा और जम्मू कश्मीर का जिक्र क्यों किया गया है। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान की इस सुरक्षा नीति पर एक्सपर्ट की क्या राय है।
आखिर पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति क्या है?
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि असल में यह पाकिस्तान की सुरक्षा नीति कम और आंतरिक नीति एवं कूटनीति ज्यादा है। हालांकि, पाकिस्तान सरकार का दावा है कि पहली बार नागरिक हितों की वरीयता देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा नीति तैयार की गई है। इसका मकसद पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है। इसके अलावा वह दुनिया में अपनी तस्वीर बेहतर करना चाहता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सुरक्षा नीति का मकसद देश की आंतरिक राजनीति से ज्यादा जुड़ा है।
2- उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। देश में बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है। ऐसे में इमरान सरकार की सत्ता पर संकट गहरा गया है। इस सुरक्षा नीति के चलते वह अपने नागरिकों का ध्यान इस ओर से हटाना चाहते हैं। यही कारण है कि इस सुरक्षा नीति पर भारत की सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी का जिक्र किया गया है। पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति में भारत की ओर से मौजूद खतरों में भ्रामक जानकारी फैलाने हिंदुत्व और घरेलू राजनीति में लाभ पाने के लिए आक्रामक नीति आजमाने को गिनाया गया है।
3- इस सुरक्षा नीति में कहा गया है कि भारत में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार पाकिस्तान का इस्तेमाल घरेलू राजनीति में कर रही है। भारत की सरकार अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के साथ रिश्तों के मुद्दे का राजनीति में इस्तेमाल करती है। उन्होंने कहा कि भारत और भारतीय जनता पार्टी का जिक्र करके इमरान खान अपने देश की समस्याओं का ध्यान मूल समस्या से हटाना चाहते हैं। सुरक्षा नीति में भारत और भाजपा का जिक्र करके पाकिस्तान सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है।
4-प्रो पंत का कहना है कि इस राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में जम्मू कश्मीर का जिक्र किया गया है। इसमें जम्मू कश्मीर को दोतरफा रिश्तों का आधार बताया गया है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का नाम लेकर इमरान सरकार अपनी जनता का ध्यान बेरोजगारी और मंहगाई से हटाना चाहती है। ऐसा करके पाकिस्तान की इमरान सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है। इतना ही नहीं पाक अधिकारियों ने इस नीति को जारी करते हुए भारत को आगाह किया है कि अगर नई दिल्ली के साथ रिश्ते नहीं सुधरे तो सबसे ज्यादा नुकसान भारत को ही होगा। प्रो पंत ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से जारी इस तरह के बयान भारत से जुड़ने के बजाए भड़काने वाले बयान हैं।
5- दरअसल, इस समय पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था खस्ताहाल है। अगर देखा जाए तो पड़ोसी मुल्क की अर्थव्यवस्था विदेशी कर्ज पर आश्रित है। अफगानिस्तान में तालिबान के समर्थन के बाद अब वह पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है। पाकिस्तान सरकार और सेना की कलई खुल चुकी है। वह दुनिया से अलग-थलग पड़ चुका है। चीन के साथ उसकी दोस्ती भी काम नहीं आ रही है। आर्थिक मोर्चे पर वह चीन से बहुत उम्मीद नहीं कर सकता है। उधर, तालिबान को खुले समर्थन के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान से किनारा कर लिया है। इस घटना के बाद अंतराष्ट्रीय फंडिंग करने वाली एजेंसियों पर भी दबाव है।
6- सुरक्षा नीति के जरिए वह दुनिया को संदेश देना चाहता है कि अब वह आतंकवाद समर्थित राष्ट्र की जगह अपनी आर्थिक व्यवस्था पर ध्यान देगा। इसके लिए वह अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंधों को बेहतर करेगा। उसने इस नीति के जरिए यह संदेश दिया है कि अब वह पड़ोसी मुल्कों के साथ दोस्ताना संबंध कायम करना चाहता है।
क्या कहा पीएम इमरान खान ने
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि नई सुरक्षा नीति का पूरा फोकस देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर है। उन्होंने कहा कि विदेश नीति में भी आर्थिक कूटनीति को आगे बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा। इमरान ने कहा कि सबसे बड़ी सुरक्षा यह है कि लोग देश के लिए खड़े हों। समावेशी विकास के जरिए यह स्थिति उत्पन्न की जा सकती है। इमरान ने कहा कि यह नीति सैन्य और नागरिक प्रशासन की सहमति से तैयार की गई है। यह नीति वर्ष 2014 से तैयार की जा रही है। दिसंबर, 2021 में इस नीति को कैबिनेट की मंजूदी दी गई थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने भी इस पर मुहर लगा दी है।